इससे हमें प्रोत्साहन मिला है। हमारे इस प्रोत्साहन के अतिरिक्त तितुस के आनन्द से हम और अधिक आनन्दित हुए, क्योंकि तुम सब के कारण उसकी आत्मा को चैन मिला है।
यही बात तो मैंने तुम्हें लिखी है कि जब मैं तुम्हारे पास आऊँ तो जिनसे मुझे आनन्द मिलना चाहिए, उनके द्वारा मुझे दुःख न पहुँचाया जाये। क्योंकि तुम सब में मेरा यह विश्वास रहा है कि मेरी प्रसन्नता में ही तुम सब प्रसन्न होगे।
तुम्हारे लिए मैंने उससे जो बढ़ चढ़ कर बातें की थीं, उसके लिए मुझे लजाना नहीं पड़ा है। बल्कि हमने जैसे तुमसे सब कुछ सच-सच कहा था, वैसे ही तुम्हारे बारे में हमारा गर्व तितुस के सामने सत्य सिद्ध हुआ है।
वह जब यह याद करता है कि तुम सब ने किस प्रकार उसकी आज्ञा मानी और डर से थरथर काँपते हुए तुमने कैसे उसको अपनाया तो तुम्हारे प्रति उसका प्रेम और भी बढ़ जाता है।