हे यहोवा, जहाँ तक मेरी बात है, मेरी तुझसे यह विनती है कि मैं चाहता हूँ; तू मुझे अपना ले! हे परमेश्वर, मैं चाहता हूँ कि तू मुझको प्रेम भरा उत्तर दे। मैं जानता हूँ कि मैं तुझ पर सुरक्षा का भरोसा कर सकता हूँ।
यहोवा कहता है, “उचित समय आने पर मैं तुम्हारी प्रार्थनाओं का उत्तर दूँगा। मैं तुमको सहारा दूँगा। मुक्ति के दिनों में मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा और तुम इसका प्रमाण होगे कि लोगों के साथ में मेरी वाचा है। अब देश उजड़ चुका है, किन्तु तुम यह धरती इसके स्वामियों को लौटवाओगे।
मैंने तुम पर दृष्टि डाली। मैंने देखा कि तुम प्रेम के लिये तैयार थीं। इसलिये मैंने तुम्हारे ऊपर अपने वस्त्र डाले और तुम्हारी नग्नता को ढका। मैंने तुमसे विवाह करने का वचन दिया। मैंने तुम्हारे साथ वाचा की और तुम मेरी बनीं।’” मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
इसलिए परमेश्वर ने फिर एक विशेष दिन निश्चित किया और उसे नाम दिया “आज” कुछ वर्षों के बाद दाऊद के द्वारा परमेश्वर ने उस दिन के बारे में शास्त्र में बताया था। जिसका उल्लेख हमने अभी किया है: “यदि आज उसकी आवाज़ सुनो, अपने हृदय जड़ मत करो।”