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क्रॉस रेफरेंस
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2 कुरिन्थियों 4:8

पवित्र बाइबल

हम हर समय हर किसी प्रकार से कठिन दबावों में जीते हैं, किन्तु हम कुचले नहीं गये हैं। हम घबराये हुए हैं किन्तु निराश नहीं हैं।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

26 क्रॉस रेफरेंस  

सारे जीवन भर मेरे अनेक शत्रु रहे हैं। किन्तु वे कभी नहीं जीते।

किन्तु यहोवा दुर्जनों को मुक्त नहीं छोड़ेगा। वह सज्जन को अपराधी नहीं ठहरने देगा।

ऐसा मनुष्य जो यहोवा से डरता है, उसके पास एक संरक्षित गढ़ी होती है। और वहीं उसके बच्चों को शरण मिलती है।

यहोवा का नाम एकगढ़ सुदृढ़ है। उस ओर धर्मी बढ़ जाते हैं और सुरक्षित रहते हैं।

किन्तु वे लोग जो यहोवा के भरोसे हैं फिर से शक्तिशाली बन जाते हैं। जैसे किसी गरुड़ के फिर से पंख उग आते हैं। ये लोग बिना विश्राम चाहे निरंतर दौड़ते रहते हैं। ये लोग बिना थके चलते रहते हैं।

अंजीर के वृक्ष चाहे अंजीर न उपजायें, अंगूर की बेलों पर चाहे अंगूर न लगें, वृक्षों के ऊपर चाहे जैतून न मिलें और चाहे ये खेत अन्न पैदा न करें, बाड़ों में चाहे एक भी भेड़ न रहे और पशुशाला पशुधन से खाली हों।

“मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोड़ूँगा। मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ।

तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े हो, जो मनुष्यों के लिये सामान्य नहीं है। परमेश्वर विश्वसनीय है। वह तुम्हारी सहन शक्ति से अधिक तुम्हें परीक्षा में नहीं पड़ने देगा। परीक्षा के साथ साथ उससे बचने का मार्ग भी वह तुम्हें देगा ताकि तुम परीक्षा को उत्तीर्ण कर सको।

इस प्रकार मसीह की ओर से मैं अपनी निर्बलताओं, अपमानों, कठिनाइयों, यातनाओं और बाधाओं में आनन्द लेता हूँ क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूँ, तभी शक्तिशाली होता हूँ।

हमारा प्रेम तुम्हारे लिये कम नहीं हुआ है। किन्तु तुमने हमसे प्यार करना रोक दिया है।

बल्कि परमेश्वर के सेवक के रूप में हम हर तरह से अपने आप को अच्छा सिद्ध करते रहते हैं। धैर्य के साथ सब कुछ सहते हुए यातनाओं के बीच, विपत्तियों के बीच, कठिनाइयों के बीच

जब हम मकिदुनिया आये थे तब भी हमें आराम नहीं मिला था, बल्कि हमें तो हर प्रकार के दुःख उठाने पड़े थे बाहर झगड़ों से और मन के भीतर डर से।

मैं चाहता हूँ कि अभी तुम्हारे पास आ पहुँचू और तुम्हारे साथ अलग ही तरह से बातें करूँ, क्योंकि मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि तुम्हारे लिये क्या किया जाये।

शमूएल ने शाऊल से कहा, “तुमने मुझे क्यों परेशान किया? तुमने मुझे ऊपर क्यों बुलाया?” शाऊल ने उत्तर दिया, “मैं मुसीबत में हूँ! पलिश्ती मेरे विरुद्ध लड़ने आए हैं और परमेश्वर ने मुझे छोड़ दिया है। परमेश्वर अब मुझको उत्तर नहीं देगा। वह मुझे उत्तर देने के लिये नबी या स्वप्न का उपयोग नहीं करेगा। यही कारण है कि मैंने तुमको बुलाया। मैं चाहता हूँ कि तुम बताओ कि मैं क्या करूँ!”

सेना के सभी लोग दु:खी और क्रोधित थे क्योंकी उनकि पुत्र—पुत्रियाँ बन्दी बना ली गई थीं। वे पुरुष दाऊद को पत्थरों से मार डालने की बात कर रहे थे। इससे दाऊद बहुत घबरा गया। किन्तु दाऊद ने अपने यहोवा परमश्वर में शक्ति पाई।

शाऊल ने अपने उस नौकर से, जो कवच ले कर चल रहा था, कहा, “अपनी तलवार निकालो और मुझे मार डालो। तब वे विदेशी मुझे चोट पहुँचाने और मेरा मजाक उड़ाने नहीं आएंगे।” किन्तु शाऊल के कवचवाहक ने ऐसा करना अस्वीकार कर दिया। शाऊल का सहायक बहुत भयभित था। इसलिये शाऊल ने अपनी तलवार ली और अपने को मार डाला।




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