तो तुम बहुत प्रसन्न होते हो। पर मैं अपने आप को तुम्हारे उन “बड़े प्रेरितों” से बिल्कुल भी छोटा नहीं मानता।
किन्तु परमेश्वर के अनुग्रह से मैं वैसा बना हूँ जैसा आज हूँ। मुझ पर उसका अनुग्रह बेकार नहीं गया। मैंने तो उन सब से बढ़ चढ़कर परिश्रम किया है। (यद्यपि वह परिश्रम करने वाला मैं नहीं था, बल्कि परमेश्वर का वह अनुग्रह था जो मेरे साथ रहता था।)