यीशु जब मन्दिर में उपदेश दे रहा था, उसने ऊँचे स्वर में कहा, “तुम मुझे जानते हो और यह भी जानते हो मैं कहाँ से आया हूँ। फिर भी मैं अपनी ओर से नहीं आया। जिसने मुझे भेजा है, वह सत्य है, तुम उसे नहीं जानते।
साक्षी के रूप में परमेश्वर की दुहाई देते हुए और अपने जीवन की शपथ लेते हुए मैं कहता हूँ कि मैं दोबारा कुरिन्थुस इसलिए नहीं आया था कि मैं तुम्हें पीड़ा से बचाना चाहता था।
परमेश्वर के वचन को अपने लाभ के लिये, उसमें मिलावट करके बेचने वाले बहुत से दूसरे लोगों जैसे हम नहीं हैं। नहीं! हम तो परमेश्वर के सामने परमेश्वर की ओर से भेजे हुए व्यक्तियों के समान मसीह में स्थित होकर, सच्चाई के साथ बोलते हैं।
किन्तु हमको पता है कि परमेश्वर का पुत्र आ गया है और उसने हमें वह ज्ञान दिया है ताकि हम उस परमेश्वर को जान लें जो सत्य है। और यह कि हम उसी में स्थित हैं, जो सत्य है, क्योंकि हम उसके पुत्र यीशु मसीह में स्थिर हैं। परम पिता ही सच्चा परमेश्वर है और वही अनन्त जीवन है।
“फिलादेलफिया की कलीसिया के स्वर्गदूत को यह लिख: “वह जो पवित्र और सत्य है तथा जिसके पास दाऊद की कुंजी है जो ऐसा द्वार खोलता है जिसे कोई बंद नहीं कर सकता, तथा जो ऐसा द्वार बंद करता है, जिसे कोई खोल नहीं सकता; इस प्रकार कहता है।