हूराम ने चार सौ अनार दोनों सज्जा जालों के लिये बनाए। हर एक जाल के लिये अनारों की दो पक्तियाँ थीं। दोनों स्तम्भों के शीर्षभाग पर के विशाल कटोरे जाल से ढके थे।
हीराम ने इन दोनों काँसे के स्तम्भों को मन्दिर के प्रवेश द्वार पर खड़ा किया। द्वार के दक्षिण की ओर एक स्तम्भ तथा द्वार के उत्तर की ओर दूसरा स्तम्भ खड़ा किया गया। दक्षिण के स्तम्भ का नाम याकीन रखा गया। उत्तर के स्तम्भ का नाम बोआज रखा गया।
हूराम ने दोनों स्तम्भों और दोनों स्तम्भों के शीर्षभाग के विशाल दोनों कटोरों को बनाया था। हूराम ने दोनों स्तम्भों के शीर्ष भाग के विशाल दोनों कटोरों को ढ़कने के लिये सज्जाओं के जाल भी बनाए थे।