यहोवा ने यहूदा को कष्ट दिया क्योंकि यहूदा के राजा आहाज ने यहूदा के लोगों को पाप करने के लिये प्रोत्साहित किया। वह यहोवा के प्रति बहुत अधिक अविश्वास योग्य था।
यहोवा परमेश्वर ने पुरुष से पूछा, “तुम्हें किसने बताया कि तुम नंगे हो? तुम किस कारण से शरमाए? क्या तुमने उस विशेष पेड़ का फल खाया जिसे मैंने तुम्हें न खाने की आज्ञा दी थी?”
तब पुरुष और स्त्री दोनों बदल गए। उनकी आँखें खुल गईं और उन्होंने वस्तुओं को भिन्न दृष्टि से देखा। उन्होंने देखा कि उनके कपड़े नहीं हैं, वे नंगे हैं। इसलिए उन्होंने कुछ अंजीर के पत्ते लेकर उन्हें जोड़ा और कपड़ो के स्थान पर अपने लिए पहना।
एलिय्याह ने उत्तर दिया, “मैंने इस्राएल पर विपत्ति नहीं ढाई। तुमने और तुम्हारे पिता के परिवार ने यह सारी विपत्ति ढाई है। तुमने विपत्ति लानी तब आरम्भ की जब तुमने यहोवा के आदेशों का पालन करना बन्द कर दिया और असत्य देवताओं का अनुसरण आरम्भ किया।
आहाज बीस वर्ष का था, जब वह राजा हुआ। उसने यरूशलेम में सोलह वर्ष तक राज्य किया। आहाज अपने पूर्वज दाऊद की तरह सच्चाई से नहीं रहा। आहाज ने वह नहीं किया जो कुछ यहोवा चाहता था कि वह करे।
मनशशे ने यहूदा के लोगों और यरूशलेम में रहने वाले लोगों को पाप करने के लिये उत्साहित किया। उसने उन राष्ट्रों से भी बड़ा पाप किया जिन्हें यहोवा ने नष्ट किया था और जो इस्राएलियों से पहले उस प्रदेश में थे!
ऐसा क्यों होगा? क्योंकि तुम ओम्री के नियमों पर चलते हो। तुम उन बुरी बातों को करते हो जिनको आहाब का परिवार करता था। तुम उनकी शिक्षाओं पर चला करते हो इसलिये मैं तुम्हें नष्ट भ्रष्ट कर दूँगा। तुम्हारे नगर के लोग हँसी के पात्र बनेंगे। तुम्हें अन्य राज्यों की घृणा झेलनी होगी।
“सावधान! मैं दबे पाँव आकर तुम्हें अचरज में डाल दूँगा। वह धन्य है जो जागता रहता है, और अपने वस्त्रों को अपने साथ रखता है ताकि वह नंगा न फिरे और लोग उसे लज्जित होते न देखें।”