तब यहोयादा ने लोगों को बताया कि उन्हें कहाँ खड़ा होना है। हर एक व्यक्ति अपने हथियार अपने हाथ में लिये था। पुरुष मन्दिर की दांयी ओर से बांयी ओर तक लगातार खड़े थे। वे वेदी, मन्दिर और राजा के निकट खड़े थे।
ये रक्षक अपने हाथों में अपने शस्त्र लिये मन्दिर के दायें कोने से लेकर बायें कोने तक खड़े थे। वे वेदी और मन्दिर के चारों ओर और जब राजा मन्दिर में जाता तो उसके चारों ओर खड़े होते थे।
वे राजा के पुत्र को बाहर लाए और उसे मुकुट पहना दिया। उन्होंने उसे व्यवस्था के पुस्तक की एक प्रति दी। तब उन्होंने योआश को राजा बनाया। यहोयादा औऱ उसके पुत्रों ने योआश का अभिषेक किया। उन्होंने कहा, “राजा दीर्घायु हो!”
सुलैमान यहोवा की वेदी के सामने खड़ा हुआ। वह उन इस्राएल के लोगों के सामने खड़ा हुआ जो वहाँ इकट्ठे हुए थे। तब सुलैमान ने अपने हाथों और अपनी भुजाओं को फैलाया।
वे एक दूसरे को आपस में नहीं थकेलते हैं। हर एक सैनिक अपनी राह पर चलता है। यदि कोई सैनिक आघात पा करके गिर जाता है तो भी वे दूसरे सैनिक आगे ही बढ़ते रहते हैं।