यहूदा से सभी लोग प्रसन्न थे क्योंकि उन्होंने पूरे हृदय से शपथ ली थी। उन्होंने पूरे हृदय से यहोवा का अनुसरण किया तथा येहोवा की खोज की और उसे पाया। इसलिये यहोवा ने उनके पूरे देश में शान्ति दी।
किन्तु यदि परमेश्वर ने गरीब की सहायता न करने का निर्णय लिया तो कोई व्यक्ति परमेश्वर को दोषी नहीं ठहरा सकता है। यदि परमेश्वर उनसे मुख मोड़ता है तो कोई भी उस को नहीं पा सकता है। परमेश्वर जातियों और समूची मानवता पर शासन करता है।
न्यायकर्ता के रूप में यहोवा ने खड़े होकर अपना निर्णय सुना दिया। परमेश्वर ने धरती के नम्र लोगों को बचाया। स्वर्ग से उसने अपना निर्णय दिया और सम्पूर्ण धरती शब्द रहित और भयभीत हो गई।
मै तुम्हारे देश को शान्ति दूँगा। तुम शान्ति से सो सकोगे। कोई वयक्ति भयभीत करने नहीं आएगा। मैं विनाशकारी जानवरों को तुम्हारे देश से बाहर रखूँगा। और सेनाएँ तुम्हारे देश से नहीं गुजरेंगी।
इस्राएल के बचे लोग बुरा काम नहीं करेंगे। वे झूठ नहीं बोलेंगे। वे झूठ बोलकर लोगों को ठगना नहीं चाहेंगे। वे उन भेड़ों की तरह होंगे जो खाती हैं और शान्त लेटती है, और कोई भी उन्हें तंग नहीं करेगा।”
“मैं तुम्हारे लिये अपनी शांति छोड़ रहा हूँ। मैं तुम्हें स्वयं अपनी शांति दे रहा हूँ पर तुम्हें इसे मैं वैसे नहीं दे रहा हूँ जैसे जगत देता है। तुम्हारा मन व्याकुल नहीं होना चाहिये और न ही उसे डरना चाहिये।