यहोशापात अति नम्रता से झुका। उसका सिर भूमि को छू रहा था और यहूदा तथा यरूशलेम में रहने वाले सभी लोग यहोवा के सामने गिर गए और उन सभी ने यहोवा की उपासना की।
इस्राएल के सभी लोगों ने आकाश से आग को उतरते देखा। इस्राएल के लोगों ने मन्दिर पर भी यहोवा के तेज को देखा। उन्होंने अपने चेहरे को चबूतरे की फर्श तक झुकाया। उन्होंने यहोवा की उपासना की तथा उसे धन्यवाद दिया। उन्होंने गाया, “यहोवा भला है, और उसकी दया सदा रहती है।”
एज्रा ने महान परमेश्वर यहोवा की स्तुति की और सभी लोगों ने अपने हाथ ऊपर उठाते हुए एक स्वर में कहा, “आमीन! आमीन!” और फिर सभी लोगों ने अपने सिर नीचे झुका दिये और धरती पर दण्डवत करते हुए यहोवा की उपासना की।
अय्यूब ने जब यह सुना तो उसने अपने कपड़े फाड़ डाले और यह दर्शाने के लिये कि वह दु:खी और व्याकुल है, उसने अपना सिर मुँड़ा लिया। अय्यूब ने तब धरती पर गिरकर परमेश्वर को दण्डवत किया।
लोगों ने विश्वास किया कि परमेश्वर ने मूसा को भेजा है। उन्होंने झुक कर प्रणाम किया और परमेश्वर की उपासना की, क्योंकि वे जान गए कि परमेश्वर इस्राएल के लोगों की सहायता करने आ गया है और उन्होंने परमेश्वर की इसलिए उपासना की क्योंकि वे जान गए कि यहोवा ने उनके कष्टों को देखा है।