शमूएल मर गया था। सभी इस्राएलियों ने शमूएल की मृत्यु पर शोक मनाया था। उन्होंने शमूएल के निवास स्थान रामा में उसे दफनाया था। इसके पहले शाऊल ने ओझाओं और भाग्यफल बताने वालों को इस्राएल छोड़ने को विवश किया था।
“कोई पुरुष या कोई स्त्री जो ओझा हो या कोई भूतसिद्धि हो, तो उन्हें निश्चय ही मार दिया जाना चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे उन्हें पत्थर मार मार कर मार दें। उन्हें मार ही दिया जाना चाहिए।”
“मैं उस व्यक्ति के विरुद्ध होऊँगा जो किसी ओझा और भूतसिद्धि के पास सलाह के लिए जाता है। वह व्यक्ति मुझसे विश्वासघात करता है। इसलिए मैं उस व्यक्ति को उसके लोगों से अलग करूँगा।
आज्ञा के पालन से इनकार करना जादूगरी करने के पाप जैसा है। हठी होना और मनमानी करना मूर्तियों की पूजा करने जैसा पाप है। तुमने यहोवा की आज्ञा मानने से इन्कार किया। इसी करण यहोवा अब तुम्हें राजा के रूप में स्वीकार करने से इन्कार करता है।”
शमूएल मर गया। इस्राएल के सभी लोग इकट्ठे हुए और उन्होंने शमूएल की मृत्यु पर शोक प्रकट किया। उन्होंने शमूएल को उसके घर रामा में दफनाया। तब दाऊद पारान की मरुभूमि में चला गया।
किन्तु उस स्त्री ने शाऊल से कहा, “तुम जानते ही हो कि शाउल ने क्या किया है! उसने ओझाओं और भाग्यफल बताने वालों को इस्राएल देश छोड्ने को विवश किया है। तुम मुझे जाल में फँसाना और मार डालना चाहते हो।”
किन्तु शमूएल का घर रामा में था। इसलिए शमूएल सदा रामा को लौट जाता था। शमूएल ने उसी नगर से इस्राएल का न्याय और शासन किया और शमूएल ने रामा में यहोवा के लिये एक वेदी बनाई।