शाऊल पर्वत की एक ओर था। दाऊद और उसके लोग उसी पर्वत की दूसरी ओर थे। दाऊद शाऊल से दूर निकल जाने के लिये शीघ्रता कर रहा था। शाऊल और उसके सैनिक पर्वत के चारों ओर दाऊद और उसके लोगों को पकड़ने जा रहे थे।
तब दाऊद ने यरूशलेम में रहने वाले अपने सभी सेवकों से कहा, “हम लोगों को बच निकलना चाहिये! यदि हम बच नहीं निकलते तो अबशालोम हम लोगों को निकलने नहीं देगा। अबशालोम द्वारा पकड़े जाने के पहले हम लोग शीघ्रता करें। नहीं तो वह हम सभी को नष्ट कर देगा और वह यरूशलेम के लोगों को मार डालेगा।”
हमारे परमेश्वर, उन लोगों को दण्ड दे! हम लोग उस विशाल सेना के विरुद्ध कोई शक्ति नहीं रखते जो हमारे विरुद्ध आ रही है! हम नहीं जानते कि क्या करें! यही कारण है कि हम तुझसे सहायता की आशा करते हैं।”
मैं भयभीत था, और मैंने कहा था, “मैं तो ऐसे स्थान पर हूँ जहाँ मुझे परमेश्वर नहीं देख सकता है।” किन्तु हे परमेश्वर, मैंने तुझसे विनती की और तूने मेरी सहायता की पुकार सुन ली।
हे भाइयो, हम यह चाहते हैं कि तुम उन यातनाओं के बारे में जानो जो हमें एशिया में झेलनी पड़ी थीं। वहाँ हम, हमारी सहनशक्ति की सीमा से कहीं अधिक बोझ के तले दब गये थे। यहाँ तक कि हमें जीने तक की कोई आशा नहीं रह गयी थी।
किसी ने अज्जा के लोगों से कहा, “शिमशोन यहाँ आया है।” वे उसे जान से मार डालना चाहते थे। इसलिए उन्होंने नगर को घेर लिया। वे छिपे रहे और वे नगर—द्वार के पास छिप गये और सारी रात शिमशोन की प्रतीक्षा किया। वे पूरी रात एकदम चुप रहे। उनहोंने आपस में कहा, “जब सवेरा होगा, हम लोग शिमशोन को मार डालेंगे।”
शाऊल और उसके लोग दाऊद की खोज करने गये। किन्तु लोगों ने दाऊद को सावधान कर दिया। उन्होंने बताया कि शाऊल उसकी तलाश कर रहा है। दाऊद तब माओन की मरुभूमि में नीचे की ओर चट्टान पर गया। शाऊल ने सुना कि दाऊद माओन की मरुभूमि में गया है। इसलिये शाऊल उस स्थान पर दाऊद को पकड़ने गया।