राजा के पास बहुत से व्यापारिक जहाज भी थे जिन्हें वह अन्य देशों से वस्तुओं का व्यापार करने के लिये बाहर भेजता था। ये हीराम के जहाज थे। हर तीसरे वर्ष जहाज सोना, चाँदी, हाथी दाँत और पशु लाते थे।
राजा यहोशापात ने ऐसे जहाज बनाए जो महासागर में चल सकते थे। यहोशापात ने ओपीर प्रदेश में जहाजों को भेजा। वह चाहता था कि जहाज सोना लाएँ। किन्तु जहाज एश्योनगेबेर में नष्ट हो गए। जहाज कभी सोना प्राप्त करने में सफल न हो सके।
इस्राएल का राजा अहज्याह यहोशापात को सहायता देने गया। अहज्याह ने यहोशापात से कहा था कि वह कुछ ऐसे व्यक्तियों को उनके लिये प्राप्त करेगा जो जहाजी काम में कुशल हों। किन्तु यहोशापात ने अहज्याह के व्यक्तियों को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया।
“इसलिए हम लोग सेईर में रहने वाले अपने सम्बन्धी एसाव के लोगों के पास से आगे बढ़ गए। यरदन घाटी से एलत और एस्योनगेबेर नगरों को जाने वाली सड़क को पीछे छोड़ दिया। तब हम उस मरुभूमि की तरफ जाने वाली सड़क पर मुड़े जो मोआब में है।