इसलिये कृपया स्वर्ग में उनकी प्रार्थना को सुन। तब हम लोगों को हमारे पापों के लिये क्षमा कर। लोगों को सच्चा जीवन बिताने की शिक्षा दे। हे यहोवा तब कृपया तू उस भूमि पर वर्षा कर जिसे तूने उन्हें दिया है।
थोड़े समय के बाद आकाश काले मेघों से ढक गया। तेज हवायें चलने लगीं और घनघोर वर्षा होने लगी। अहाब अपने रथ में बैठा और यिज्रेल को वापस यात्रा करनी आरम्भ की।
हे यहोवा, अपनी राहों की शिक्षा मुझको दे,। मैं जीऊँगा और तेरे सत्य पर चलूँगा। मेरी सहायता कर। मेरे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण यही है, कि मैं तेरे नाम की उपासना करूँ।
तब यदि तुम बुरे काम करोगे और बुरा जीवन जीओगे (दाहिनी ओर अथवा बायीं ओर) तो तुम अपने पीछे एक आवाज़ को कहते सुनोगे, “खरी राह यह है। तुझे इसी राह में चलना है।”
उस समय, वहाँ एक राह बन जायेगी और इस राजमार्ग का नाम होगा “पवित्र मार्ग”। उस राह पर अशुद्ध लोगों को चलने की अनुमति नहीं होगी। कोई भी मूर्ख उस राह पर नहीं चलेगा। बस परमेश्वर के पवित्र लोग ही उस पर चला करेंगे।
विदेशी देवमूर्तियों में वर्षा लाने की शक्ति नहीं हैं, आकाश में पानी बरसाने की शक्ति नहीं है। केवल तू ही हमारी आशा है, एकमात्र तू ही है जिसने यह सब कुछ बनाया है।
यहोवा यह सब कहता है: “चौराहों पर खड़े होओ और देखो। पता करो कि पुरानी सड़क कहाँ थी। पता करो कि अच्छी सड़क कहाँ है, और उस सड़क पर चलो। यदि तुम ऐसा करोगे, तुम्हें आराम मिलेगा! किन्तु तुम लोगों ने कहा है, ‘हम अच्छी सड़क पर नहीं चलेंगे!’
सो, हे सिय्योन के लोगों, प्रसन्न रहो। अपने परमेश्वर यहोवा में आनन्द से भर जाओ। क्योंकि वह तुम्हारे साथ भला करेगा और तुम्हें वर्षा देगा। वह तुम्हें अगली वर्षा देगा और वह तूझे पिछली वर्षा भी देगा जैसे पहले दिया करता था।
अनेक जातियाँ यहाँ आ कर कहेंगी, “आओ! चलो, यहोवा के पहाड़ के ऊपर चलें। याकूब के परमेश्वर के मन्दिर चलें। फिर परमेश्वर हमको अपनी राह सिखायेगा और फिर हम उसके पथ में बढ़ते चले जायेंगे।” क्यों क्योंकि परमेश्वर की शिक्षाएँ सिय्योन से आयेंगी और यहोवा का वचन यरूशलेम से आयेगा।
उन्होंने अपने चेलों को हेरोदियों के साथ उसके पास भेजा। उन लोगों ने यीशु से कहा, “गुरु, हम जानते हैं कि तू सच्चा है तू सचमुच परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देता है। और तब, कोई क्या सोचता है, तू इसकी चिंता नहीं करता क्योंकि तू किसी व्यक्ति की हैसियत पर नहीं जाता।
यदि मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करना बन्द कर देता हूँ तो यह मेरे लिए अपमानजनक होगा। यदि मैं तुम्हारे लिये प्रार्थना करना बन्द करता हूँ तो यह यहोवा के विरुद्ध पाप करना होगा। मैं तुम्हें वह शिक्षा दूँगा जो तुम्हारे लिये अच्छी व उचित है।