किन्तु यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से कहा, ‘मैं जानता हूँ कि तुम मेरे सम्मान के लिये मन्दिर बनाने की प्रबल इच्छा रखते हो और यह अच्छा है कि तुम मेरा मन्दिर बनाना चाहते हो।
नातान ने राजा दाऊद से कहा, “जाओ, और जो कुछ तुम करना चाहते हो, करो। यहोवा तुम्हारे साथ होगा।”
“मेरे पिता दाऊद बहुत अधिक चाहते थे कि वे यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर के सम्मान के लिये मन्दिर बनाएं।
किन्तु तुम वह व्यक्ति नहीं हो जिसे मैंने मन्दिर बनाने के लिये चुना है। तुम्हारा पुत्र मेरा मन्दिर बनाएगा।’
क्योंकि यदि दान देने की लगन है तो व्यक्ति के पास जो कुछ है, उसी के अनुसार उसका दान ग्रहण करने योग्य बनता है, न कि उसके अनुसार जो उसके पास नहीं है।