हर एक गाड़ी में चार काँसे के पहिये काँसे की धुरी के साथ थे। कोनों पर विशाल कटोरे के लिए काँसे के आधार बने थे। आधारों पर हथौड़े से फूलों के आकर काँसे में उभारे गए थे।
कटोरे के लिये ऊपरी सिरे पर एक ढाँचा बना था। यह कटोरों से ऊपर को अट्ठारह इंच ऊँचा था। कटोरे का खुला हुआ गोल भाग सत्ताईस ईंच व्यास वाला था। ढाँचे पर काँसे में आकार उकेरे गए थे। ढाँचा चौकोर था, गोल नहीं।
तब प्राणियों के पंख हिलने आरम्भ हुए। पंखों ने, जब एक दूसरे को छुआ, तो उन्होंने बड़ी तेज आवाज की और उनके सामने के चक्र बिजली की कड़क की तरह प्रचण्ड घोष करने लगे!