सुलैमान ने इस कमरे को शुद्ध सोने से मढ़ा। उसने इस कमरे के सामने एक सुगन्ध वेदी बनाई। उसने वेदी को सोने से मढ़ा और उसके चारों ओर सोने की जंजीरें लपेटीं।
यह कमरा तीस फुट लम्बा तीस फुट चौड़ा और तीस फुट ऊँचा था।
सारा मन्दिर सोने से मढ़ा था और सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने वेदी सोने से मढ़ी गई थी।
तब सुलैमान ने मन्दिर के मुख्य भाग के चारों ओर कमरों की एक पंक्ति बनाई। ये कमरे एक दूसरे की छत पर बने थे। कमरों की यह पंक्ति तीन मंजिल ऊँची थी।
“तख़्तों को सोने से मढ़ो और तख़्तों की कुण्डियों को फँसाने के लिए कड़े बनवाओ। ये कड़े भी सोने के ही बनने चाहिए। कुण्डियों को भी सोने से मढ़ो।
उसने इन तख़्तों को सोने से मढ़ा। उसने कड़ियों को भी सोने से मढ़ा और उसने कड़ियों को पकड़े रखने के लिये सोने के छल्ले बनाए।