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क्रॉस रेफरेंस
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1 राजाओं 3:9

पवित्र बाइबल

इसलिये मैं तुझसे माँगता हूँ कि तू मुझे बुद्धि दे जिससे मैं सच्चाई से लोगों पर शासन और उनका न्याय कर सकूँ। इससे मैं सही और गलत के अन्तर को जान सकूँगा। इस श्रेष्ठ बुद्धि के बिना इन महान लोगों पर शासन करना असंभव है।”

अध्याय देखें प्रतिलिपि

36 क्रॉस रेफरेंस  

मैं जानती हूँ कि मेरे राजा मेरे प्रभु के शब्द मुझे शान्ति देंगे क्योंकि आप परमेश्वर के दूत के समान होंगे। आप समझेंगे कि क्या अच्छा और क्या बुरा है। यहोवा आपका परमेश्वर, आपके साथ होगा।”

सर्वत्र लोग राजा सुलैमान को देखना चाहते थे। वे परमेश्वर द्वारा दी गई उसकी बुद्धिमत्ता की बात सुनना चाहते थे।

यहोवा प्रसन्न हुआ कि सुलैमान ने उससे यह माँगा।

इस्राएल के लोगों ने राजा सुलैमान के निर्णय को सुना। उन्होंने उसका बहुत आदर और सम्मान किया क्योंकि वह बुद्धिमान था। उन्होंने देखा कि ठीक न्याय करने में उसके पास परमेश्वर की बुद्धि थी।

यहोवा तुम्हें इस्राएल का राजा बनाएगा। यहोवा तुम्हें बुद्धि और समझ दे जिससे तुम लोगों का मार्गदर्शन कर सको और अपने यहोवा परमेश्वर की व्यवस्था का पालन कर सको

और मेरे पुत्र सुलैमान को तेरे प्रति सच्चा होने में सहायता दे तेरे विधियों, नियमों और आदेशों को सर्वदा पालन करने में इसकी सहायता कर। उन कामों को करने में सुलैमान की सहायता कर और उस महल को बनाने में उसकी सहायता कर जिसकी योजना मैंने बनाई है।”

अब तू मुझे बुद्धि और ज्ञान दे। तब मैं इन लोगों को सही राह पर ले चल सकूँगा। कोई भी तेरी सहायता के बिना इन पर शासन नहीं कर सकता!”

तेरी वाचा नित्य ही उत्तम है। अपनी वाचा को समझने में मेरी सहायता कर ताकि मैं जी सकूँ।

मुझको सहारा दे कि मैं उनको समझूँ और मैं तेरी शिक्षाओं का पालन करुँगा। मैं पूरी तरह उनका पालन करूँगा।

हे यहोवा, तूने मुझे रचा है और निज हाथों से तू मुझे सहारा देता है। अपने आदेशों को पढ़ने समझने में तू मेरी सहायता कर।

ज्ञानी जनों का ज्ञान इसी में है, कि वे अपनी राहों का चिंतन करें, मूर्खता मूर्ख की छल में बसती है।

विवेक सोने से अधिक उत्तम है, और समझ बूझ पाना चाँदी से उत्तम है।

यहोवा ने कान बनाये हैं कि हम सुनें! यहोवा ने आँखें बनाई हैं कि हम देखें! यहोवा ने इन दोनों को इसलिये हमारे लिये बनाया।

जैसे उत्तराधिकार में सम्पत्ति का प्राप्त करना अच्छा है वैसे ही बुद्धि को पाना भी उत्तम है। जीवन के लिये यह लाभदायक है।

निश्चय ही इस धरती पर कोई ऐसा अच्छा व्यक्ति नहीं है जो सदा अच्छा ही अच्छा करता है और बुरा कभी नहीं करता। बुद्धि व्यक्ति को शक्ति देती है। किसी नगर के दस मूर्ख मुखियाओं से एक साधारण बुद्धिमान पुरुष अधिक शक्तिशाली होता है।

तब मैंने अर्थात् यिर्मयाह ने कहा, “किन्तु सर्वशक्तिमान यहोवा, मैं तो बोलना भी नहीं जानता। मैं तो अभी बालक ही हूँ।”

बारुक, तुम अपने लिये कुछ बड़ी बात होने की आशा कर रहे हो। किन्तु उन चीज़ों की आशा न करो। उनकी ओर नजर न रखो क्योंकि मैं सभी लोगों के लिये कुछ भयंकर विपत्ति उत्पन्न करुँगा। ये बातें यहोवा ने कही, ‘तुम्हें अनेकों स्थानों पर जाना पड़ेगा। किन्तु तुम चाहे जहाँ जाओ, मैं तुम्हें जीवित बचकर निकल जाने दूँगा।’”

वह ही समय को बदलता है वह ही वर्ष के ऋतओं को बदलता है। वह ही राजाओं को बदलता है। वही राजाओं को शक्ति देता है और वही छीन लेता है। वही बुद्धि देता है और लोग बुद्धिमान बन जाते हैं। वही लोगों को ज्ञान देता है और लोग ज्ञानी बन जाते हैं।

“मैं तो तुम्हें तुम्हारे मन फिराव के लिये जल से बपतिस्मा देता हूँ किन्तु वह जो मेरे बाद आने वाला है, मुझ से महान है। मैं तो उसके जूते के तस्मे खोलने योग्य भी नहीं हूँ। वह तुम्हें पवित्र आत्मा और अग्नि से बपतिस्मा देगा।

किन्तु यूहन्ना ने यीशु को रोकने का यत्न करते हुए कहा, “मुझे तो स्वयं तुझ से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है। फिर तू मेरे पास क्यों आया है?”

“मैं स्वयं अपने आपसे कुछ नहीं कर सकता। मैं परमेश्वर से जो सुनता हूँ उसी के आधार पर न्याय करता हूँ और मेरा न्याय उचित है क्योंकि मैं अपनी इच्छा से कुछ नहीं करता बल्कि उसकी इच्छा से करता हूँ जिसने मुझे भेजा है।

किन्तु उनके लिये जो विनाश के मार्ग पर हैं, यह मृत्यु की ऐसी दुर्गन्ध है, जो मृत्यु की ओर ले जाती है। पर उनके लिये जो उद्धार के मार्ग पर बढ़ रहे हैं, यह जीवन की ऐसी सुगंध है, जो जीवन की ओर अग्रसर करती है। किन्तु इस काम के लिये सुपात्र कौन है?

ऐसा नहीं है कि हम अपने आप में इतने समर्थ हैं जो सोचने लगे हैं कि हम अपने आप से कुछ कर सकते हैं बल्कि हमें सामर्थ्य तो परमेश्वर से मिलता है।

इसलिए मूर्ख मत बनो बल्कि यह जानो कि प्रभु की इच्छा क्या है।

ये गुण पाकर भले बुरे में अन्तर करके, सदा भले को अपना लोगे। और इस तरह तुम पवित्र व अकलुष बन जाओगे उस दिन को जब मसीह आयेगा।

किन्तु ठोस आहार तो उन बड़ों के लिए ही होता है जिन्होंने अपने अनुभव से भले-बुरे में पहचान करना सीख लिया है।

सो यदि तुममें से किसी में विवेक की कमी है तो वह उसे परमेश्वर से माँग सकता है। वह सभी को प्रसन्नता पूर्वक उदारता के साथ देता है।

किन्तु स्वर्ग से आने वाला ज्ञान सबसे पहले तो पवित्र होता है, फिर शांतिपूर्ण, सहनशील, सहज-प्रसन्न, करुणापूर्ण होता है। और उससे उत्तम कर्मों की फ़सल उपजती है। वह पक्षपात-रहित और सच्चा भी होता है।




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