सुलैमान ने बाईस हजार पशुओं और एक लाख बीस हजार भेड़ों को मारा। ये सहभागिता भेटों के लिये थीं। यही पद्धति थी जिससे राजा और इस्राएल के लोगों ने मन्दिर का समर्पण किया अर्थात् उन्होंने यह प्रदर्शित किया कि उन्होंने मन्दिर को यहोवा को अर्पित किया।
सुलैमान ने इस्राएल के सभी लोगों से बातें कीं। उसने सेना के शतपतियों, सहस्त्रपतियों, न्यायाधीशों, सारे इस्राएल के सभी प्रमुखों तथा परिवारों के प्रमुखों से बातें कीं।
तब सुलैमान और सभी लोग उसके साथ इकट्ठे हुए और उस उच्चस्थान को गये जो गिबोन नगर में था। परमेश्वर का मिलाप का तम्बू वहाँ था। यहोवा के सेवक मूसा ने उसे तब बनाया था जब वह और इस्राएल के लोग मरुभूमि में थे।
यहूदा के राजा हिजकिय्याह ने उस सभा को एक हज़ार बैल तथा सात हज़ार भेड़ें मारने और खाने के लिये दिये। प्रमुखों ने सभा को एक हज़ार बैल और दस हज़ार भेड़ें दीं। बहुत से याजकों ने पवित्र सेवा के लिये अपने को तैयार किया।
राजा सुलैमान ने बाईस हज़ार बैल और एक लाख बीस हज़ार भेड़ें भेंट कीं। राजा और सभी लोगों ने परमेश्वर के मन्दिर को पवित्र बनाया। इसका उपयोग केवल परमेश्वर की उपासना के लिये होता था।
यहूदा में सिदकिय्याह के राज्यकाल के चौथे वर्ष के पाँचवें महीने में हनन्याह नबी ने मुझसे बात की। हनन्याह अज्जूर नामक व्यक्ति का पुत्र था। हनन्याह गिबोन नगर का रहने वाला था। हनन्याह ने जब मुझसे बातें की, तब वह यहोवा के मन्दिर में था। याजक और सभी लोग भी वहाँ थे। हनन्याह ने जो कहा वह यह है:
अत: अदोनीसेदेक और उसके लोग इन घटनाओं के कारण बहुत भयभीत थे। गिबोन ऐ की तरह छोटा नगर नहीं था। गिबोन एक शाही नगर जैसा बहुत बड़ा नगर था। और नगर के सभी पुरुष अच्छे योद्धा थे। अत: राजा भयभीत था।