परमेश्वर की संतान के रूप में वह कुदरती तौर पर न तो लहू से पैदा हुआ था, ना किसी शारीरिक इच्छा से और न ही माता-पिता की योजना से। बल्कि वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ।
जो परमेश्वर की सन्तान बन गया, पाप नहीं करता रहता, क्योंकि उसका बीज तो उसी में रहता है। सो वह पाप करता नहीं रह सकता क्योंकि वह परमेश्वर की संतान बन चुका है।
हे प्यारे बच्चों, तुम परमेश्वर के हो। इसलिए तुमने मसीह के शत्रुओं पर विजय पा ली है। क्योंकि वह परमेश्वर जो तुममें है, संसार में रहने वाले शैतान से महान है।
हम जानते हैं कि जो कोई परमेश्वर का पुत्र बन गया, वह पाप नहीं करता रहता। बल्कि परमेश्वर का पुत्र उसकी रक्षा करता रहता है। वह दुष्ट उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाता।
फिर मुझे काँच का एक सागर सा दिखायी दिया जिसमें मानो आग मिली हो। और मैंने देखा कि उन्होंने उस पशु की मूर्ति पर तथा उसके नाम से सम्बन्धित संख्या पर विजय पा ली है, वे भी उस काँच के सागर पर खड़े हैं। उन्होंने परमेश्वर के द्वारा दी गयी वीणाएँ ली हुई थीं।
“जो सुन सकता है, वह सुने कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कह रहा है! “जो विजयी होगा, मैं उसे स्वर्ग में छिपा मन्ना दूँगा। मैं उसे एक श्वेत पत्थर भी दूँगा जिस पर एक नया नाम अंकित होगा। जिसे उसके सिवा और कोई नहीं जानता जिसे वह दिया गया है।
“जिसके पास कान हैं, वह उसे सुने जो आत्मा कलीसियाओं से कह रहा है। जो विजय पाएगा मैं उसे परमेश्वर के उपवन में लगे जीवन के वृक्ष से फल खाने का अधिकार दूँगा।
जो विजयी होगा उसे मैं अपने परमेश्वर के मन्दिर का स्तम्भ बनाऊँगा। फिर कभी वह इस मन्दिर से बाहर नहीं जाएगा। तथा मैं अपने परमेश्वर का और अपने परमेश्वर की नगरी नए यरूशलेम का नाम उस पर लिखूँगा, जो मेरे परमेश्वर की ओर से स्वर्ग से नीचे उतरने वाली है। उस पर मैं अपना नया नाम भी लिखूँगा।
“जो विजयी होगा मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठने का गौरव प्रदान करूँगा। ठीक वैसे ही जैसे मैं विजयी बनकर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठा हूँ।
जो विजयी होगा वह इसी प्रकार श्वेत वस्त्र धारण करेगा। मैं जीवन की पुस्तक से उसका नाम नहीं मिटाऊँगा, बल्कि मैं तो उसके नाम को अपने परम पिता और उसके स्वर्गदूतों के सम्मुख मान्यता प्रदान करूँगा।