इसलिए हम वैसे ही उत्तम रीति से रहें जैसे दिन के समय रहते हैं। बहुत अधिक दावतों में जाते हुए खा पीकर धुत्त न हो जाओ। लुच्चेपन दुराचार व्यभिचार में न पड़ें। न झगड़ें और न ही डाह रखें।
यदि सचमुच किसी को बहुत भूख लगी हो तो उसे घर पर ही खा लेना चाहिये ताकि तुम्हारा एकत्र होना तुम्हारे लिये दण्ड का कारण न बने। अस्तु; दूसरी बातों को जब मैं आऊँगा, तभी सुलझाऊँगा।
यद्यपि दैहिक रूप से मैं तुममें नहीं हूँ फिर भी आध्यात्मिक रूप से मैं तुम्हारे भीतर हूँ। मैं तुम्हारे जीवन के अनुशासन और मसीह में तुम्हारे विश्वास की दृढ़ता को देख कर प्रसन्न हूँ।