इस धरती के लोग सचमुच बड़े नहीं हैं। परमेश्वर लोगों के साथ जो कुछ चाहता है वह करता है। स्वर्ग की शक्तियों को कोई भी रोक नहीं पाता है। उसका सशक्त हाथ जो कुछ करता है उस पर कोई प्रश्न नहीं कर सकता है।
हवा जिधर चाहती है, उधर बहती है। तुम उसकी आवाज़ सुन सकते हो। किन्तु तुम यह नहीं जान सकते कि वह कहाँ से आ रही है, और कहाँ को जा रही है। आत्मा से जन्मा हुआ हर व्यक्ति भी ऐसा ही है।”
तो फिर उसके अनुग्रह के अनुसार हमें जो अलग-अलग उपहार मिले हैं, हम उनका प्रयोग करें। यदि किसी को भविष्यवाणी की क्षमता दी गयी है तो वह उसके पास जितना विश्वास है उसके अनुसार भविष्यवाणी करे।
जो भी हो, हम उचित सीमाओं से बाहर बढ़ चढ़ कर बात नहीं करेंगे, बल्कि परमेश्वर ने हमारी गतिविधियों की जो सीमाएँ हमें सौंपी है, हम उन्हीं में रहते हैं और वे सीमाएँ तुम तक पहुँचती हैं।
सब बातें योजना और परमेश्वर के निर्णय के अनुसार की जाती हैं। और परमेश्वर ने अपने निजी प्रयोजन के कारण ही हमें उसी मसीह में संत बनने के लिये चुना है। यह उसके अनुसार ही हुआ जिसे परमेश्वर ने अनादिकाल से सुनिश्चित कर रखा था।
परमेश्वर ने भी चिन्हों, आश्चर्यो तथा तरह-तरह के चमत्कारपूर्ण कर्मों तथा पवित्र आत्मा के उन उपहारों द्वारा, जो उसकी इच्छा के अनुसार बाँटे गये थे, इसे प्रमाणित किया।