तेईसवाँ समूह दलायाह का था। चौबीसवाँ समूह माज्याह का था।
इक्कीसवाँ समूह याकीन का था। बाईसवाँ समूह गामूल का था।
यहोवा के मन्दिर में सेवा करने के लिये ये समूह चुने गये थे। वे मन्दिर में सेवा के लिये हारून के नियामों को मानते थे। इस्राएल के यहोवा परमेश्वर ने इन नियमों को हारून को दिया था।
सल्लू, आमोक, हिल्किय्याह और यदायाह। ये लोग याजकों और उनके सम्बन्धियों के मुखिया थे। येशू के दिनों में ये ही उनके मुखिया हुआ करते थे।