दाऊद ने वहाँ यहोवा की उपासाना के लिए एक वेदी बनाई। दाऊद ने होमबलि और मेलबलि चढ़ाई। दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की। यहोवा ने स्वर्ग से आग भेजकर दाऊद को उत्तर दिया। आग होमबलि की वेदी पर उतरी।
बाल के नबी! बाल से प्रार्थना करेंगे और मैं यहोवा से प्रार्थना करुँगा। जो ईश्वर प्रार्थना को स्वीकार करे और अपनी लकड़ी को जलाना आरम्भ कर दे, वही सच्चा परमेश्वर है।” सभी लोगों ने स्वीकार किया कि यह उचित विचार है।
सुलैमान ने यहोवा का मन्दिर मोरिय्याह पर्वत पर यरूशलेम में बनाना आरम्भ किया। पर्वत मोरिय्याह वह स्थान है जहाँ यहोवा ने सुलैमान के पिता दाऊद को दर्शन दिया था। सुलैमान ने उसी स्थान पर मन्दिर बनाया जिसे दाऊद तैयार कर चुका था। यह स्थान उस खलिहान में था जो ओर्नान का था। ओर्नान यबूसी लोगों में से एक था।
मुझे उन सभी वस्तुओं का पता हो जायेगा जिनकी आवश्यकता उन्हें होगी, इससे पहले की वे उन्हें मुझसे माँगे। इससे पहले कि वे मुझ से सहायता की प्रार्थना पूरी कर पायेंगे, मैं उनको मदद दूँगा।
मानोह और उसकी पत्नी उसे ध्यान से देख रहे थे, जो हो रहा था। जैसे ही लपटें वेदी से आकाश तक उठीं, वैसे ही यहोवा का दूत अग्नि में आकाश को चला गया। जब मानोह और उसकी पत्नी ने यह देखा तो वे धरती पर गिर गए। उन्होंने अपने सिर को धरती से लगाया।
यहोवा के दूत ने अपने हाथ में एक छड़ी ले रखी थी। यहोवा के दूत ने माँस और रोटियों को छड़ी के सिरे से छुआ। तब चट्टान से आग जल उठी। गोश्त और रोटियाँ पूरी तरह जल गईं। तब यहोवा का दूत अर्न्तध्यान हो गया।