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क्रॉस रेफरेंस
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1 इतिहास 21:15

पवित्र बाइबल

परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत को यरूशलेम को नष्ट करने के लिए भेजा। किन्तु जब स्वर्गदूत ने यरूशलेम को नष्ट करना आरम्भ किया तो यहोवा ने देखा और उसे दुख हुआ। इसलिये यहोवा ने इस्राएल को नष्ट न करने का निर्णय किया। यहोवा ने उस दूत से, जो नष्ट कर रहा था कहा, “रुक जाओ! यही पर्याप्त है!” यहोवा का दूत उस समय यबूसी ओर्नान की खलिहान के पास खड़ा था।

अध्याय देखें प्रतिलिपि

24 क्रॉस रेफरेंस  

हम लोग इस नगर को नष्ट करेंगे। यहोवा ने उन सभी बुराइयों को सुन लिया है जो इस नगर में है। इसलिए यहोवा ने हम लोगों को इसे नष्ट करने के लिए भेजा हैं।”

यहोवा को इस बात का दुःख हुआ, कि मैंने पृथ्वी पर मनुष्यों को क्यों बनाया? यहोवा इस बात से बहुत दुःखी हुआ।

स्वर्गदूत ने अपनी भुजा यरूशलेम की ओर उसे नष्ट करने के लिये उठाई। किन्तु जो बुरी बातें हुई उनके लिये यहोवा बहुत दुःखी हुआ। यहोवा ने उस स्वर्गदूत से कहा जिसने लोगों को नष्ट किया, “बहुत हो चुका! अपनी भुजा नीचे करो।” यहोवा का स्वर्गदूत यबूसी अरौना के खलिहान के किनारे था।

उस दिन गाद दाऊद के पास आया। गाद ने दाऊद से कहा, “जाओ और एक वेदी यबूसी अरौना के खलिहान में यहोवा के लिये बनाओ।”

तब एलिय्याह पूरे दिन मरूभूमि में चला। एलिय्याह एक झाड़ी के नीचे बैठा। उसने मृत्यु की याचना की। एलिय्याह ने कहा, “यहोवा यह मेरे लिये बहुत है मुझे मरने दे। मैं अपने पूर्वजों से अधिक अच्छा नहीं हूँ।”

सुलैमान ने यहोवा का मन्दिर मोरिय्याह पर्वत पर यरूशलेम में बनाना आरम्भ किया। पर्वत मोरिय्याह वह स्थान है जहाँ यहोवा ने सुलैमान के पिता दाऊद को दर्शन दिया था। सुलैमान ने उसी स्थान पर मन्दिर बनाया जिसे दाऊद तैयार कर चुका था। यह स्थान उस खलिहान में था जो ओर्नान का था। ओर्नान यबूसी लोगों में से एक था।

किन्तु परमेश्वर करूणापूर्ण था। उसने उन्हें उनके पापों के लिये क्षमा किया, और उसने उनका विनाश नहीं किया। परमेश्वर ने अनेकों अवसर पर अपना क्रोध रोका। परमेश्वर ने अपने को अति कुपित होने नहीं दिया।

हे यहोवा, तू सदा हमारे पास लौट आ। अपने सेवकों पर दया कर।

इसलिए यहोवा ने लोगों के लिए अफ़सोस किया। यहोवा ने वह नहीं किया जो उसने कहा कि वह करेगा अर्थात् लोगों को नष्ट नहीं किया।

ओले और परमेश्वर की गरजती आवाज़ें अत्याधिक हैं। परमेश्वर से तूफान को रोकने को कहो। मैं तुम लोगों को जाने दूँगा। तुम लोगों को यहाँ रहना नहीं पड़ेगा।”

उन्होंने कहा, “मीकायाह नबी मोरसेती नगर का था। मीकायाह उन दिनों नबी था जिन दिनों हिजकिय्याह यहूदा का राजा था। मीकायाह ने यहूदा के सभी लोगों से यह कहा: सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है: “सिय्योन एक जुता हुआ खेत बनेगा। यरूशलेम चट्टानों की ढेर होगा। जिस पहाड़ी पर मन्दिर बना है उस पर पेड़ उगेंगे।”

यहोवा के नाम पर ऐसी बातें करने का साहस तुम कैसे करते हो तुम यह कैसे कहने का साहस करते हो कि यह मन्दिर शीलो के मन्दिर की तरह नष्ट होगा तुम यह कहने का साहस कैसे करते हो कि यरूशलेम बिना किसी निवासी के मरुभूमि बनेगा!” सभी लोग यिर्मयाह के चारों ओर यहोवा के मन्दिर में इकट्ठे हो गए।

“‘यहूदा के लोगों, तुम अब शीलो नगर को जाओ। उस स्थान पर जाओ जहाँ मैंने प्रथम बार अपने नाम का मन्दिर बनाया। इस्राएल के लोगों ने भी पाप कर्म किये। जाओ और देखो कि उस स्थान का मैंने उन पाप कर्मों के लिये क्या किया जो उन्होंने किये।

तब यहोवा ने इसके बारे में अपने विचार को बदला। यहोवा ने कहा, “ऐसा नहीं होगा।”

तब यहोवा ने इसके बारे में अपना विचार बदला। परमेश्वर यहोवा ने कहा, “ऐसा नहीं होगा।”

लोगों ने जो बातें की थी, उन्हें परमेश्वर ने देखा। परमेश्वर ने देखा कि लोगों ने बुरे कर्म करना बन्द कर दिया है। सो परमेश्वर ने अपना मन बदल लिया और जैसा करने की उसने योजना रची थी, वैसा नहीं किया। परमेश्वर ने लोगों को दण्ड नहीं दिया।

उसने यहोवा से शिकायत करते हुए कहा, “मैं जानता था कि ऐसा ही होगा! मैं तो अपने देश में था, और तूने ही मुझसे यहाँ आने को कहा था। उसी समय मुझे यह पता था कि तू इस पापी नगर के लोगों को क्षमा कर देगा। मैंने इसलिये तर्शीश भाग जाने की सोची थी। मैं जानता था कि तू एक दयालु परमेश्वर है! मैं जानता था कि तू करूणा दर्शाता है और लोगों को दण्ड देना नहीं चाहता! मुझे पता था कि तू करूणा से पूर्ण है! मुझे ज्ञान था कि यदि इन लोगों ने पाप करना छोड़ दिया तो तू इनके विनाश की अपनी योजनाओं को बदल देगा।

वह तीसरी बार फिर लौट कर आया और उनसे बोला, “क्या तुम अब भी आराम से सो रहे हो? अच्छा, तो सोते रहो। वह घड़ी आ पहुँची है जब मनुष्य का पुत्र धोखे से पकड़वाया जा कर पापियों के हाथों सौंपा जा रहा है।

शिकवा शिकायत मत करो जैसे कि उनमें से कुछ किया करते थे और इसी कारण विनाश के स्वर्गदूत द्वारा मार डाले गए।

तब इस्राएल के लोगों ने अपने पास के विदेशी देवताओं को फेंक दिया। उन्होंने फिर से यहोवा की उपासना आरम्भ की। इसलिए जब यहोवा ने उन्हें कष्ट उठाते देखा, तब वह उनके लिए दुःखी हुआ।

इस्राएल के शत्रुओं ने कई बार लोगों के साथ बुरा किया। इसलिए इस्राएल के लोग सहायता के लिये चिल्लाते थे और हर बार यहोवा को लोगों के लिए दुःख होता था। हर बार वह शत्रुओं से लोगों की रक्षा के लिये एक न्यायाधीश भेजता था। इस प्रकार हर बार इस्राएल के लोग अपने शत्रुओं से बच जाते थे।

यहोवा ने कहा, “शाऊल ने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया है। इसलिए मुझे इसका अफसोस है कि मैंने उसे राजा बनाया। वह उन कामों को नहीं कर रहा है जिन्हें करने का आदेश मैं उसे देता हूँ।” शमूएल भड़क उठा और फिर उसने रात भर यहोवा की प्रार्थना की।




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