दाऊद ने परमेश्वर से पूछा, “क्या मुझे जाना चाहिये और पलिश्ती लोगों से युद्ध करना चाहिये क्या तू मुझे उनको परास्त करने देगा?” यहोवा ने दाऊद को उत्तर दिया, “जाओ। मैं तुम्हें पलिश्ती लोगों को हराने दूँगा।”
बाद में दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की। दाऊद ने कहा, “क्या मुझे यहूदा के किसी नगर में जाना चाहिये?” यहोवा ने दाऊद से कहा, “जाओ।” दाऊद ने पूछा, “मुझे, कहाँ जाना चाहिये?” यहोवा ने उत्तर दिया, “हेब्रोन को।”
दाऊद ने बात करके यहोवा से पूछा, “क्या मुझे पलिश्तियों के विरुद्ध युद्ध में जाना चाहिये? क्या तू मुझे पलिश्तियों को हराने देगा?” यहोवा ने दाऊद से कहा, “जाओ, क्योंकि मैं निश्चय ही, पलिश्तियों को हराने में तुम्हारी सहायता करूँगा।”
अत: अहाब ने नबियों की एक बैठक बुलाई। उस समय लगभग चार सौ नबी थे। अहाब ने नबियों से पूछा, “क्या मैं जाऊँ और रामोत में अराम की सेना के विरुद्ध युद्ध करुँ या मैं किसी अन्य अवसर की प्रतीक्षा करुँ” नबियों ने उत्तर दिया, “तुम्हें अभी युद्ध करना चाहिये। यहोवा तुम्हें विजय पाने देगा।”
तब दाऊद और उसके लोग बालपरासीम नगर तक गए। वहाँ दाऊद और उसके लोगों ने पलिश्ती लोगों को हराया। दाऊद ने कहा, “टूटे बाँध से पानी फूट पड़ता है। उसी प्रकार, परमेश्वर मेरे शत्रुओं पर फूट पड़ा है! परमेश्वर ने यह मेरे माध्यम से किया है।” यही कारण है कि उस स्थान का नाम “बालपरासीम है।”
दाऊद ने फिर परमेश्वर से प्रार्थना की। परमेश्वर ने दाऊद की प्रार्थना का उत्तर दिया। परमेश्वर ने कहा, “दाऊद, जब तुम आक्रमण करो तो पलिश्ती लोगों के पीछे पहाड़ी पर मत जाओ। इसके बदले, उनके चारों ओर जाओ। वहाँ छिपो, जहाँ मोखा के पेड़ हैं।
तब दाऊद ने यहोवा से प्रार्थना की, “क्या मुझे उन लोगों का पीछा करना चाहिए जो हमारे परिवारों को ले गये हैं? क्या मैं उन्हें पकड़ लूँगा।” यहोवा ने अत्तर दिया, “उनका पीछा करो। तुम उन्हें पकड़ लोगे। तुम अपने परिवारों को बचा लोगे।”