कैसे धन्य हैं वे, जिनका आचार-व्यवहार निर्दोष है, जिनका आचरण याहवेह की शिक्षाओं के अनुरूप है.
याकूब 1:27 - सरल हिन्दी बाइबल हमारे परमेश्वर और पिता की दृष्टि में बिलकुल शुद्ध और निष्कलंक भक्ति यह है: मुसीबत में पड़े अनाथों और विधवाओं की सुधि लेना तथा स्वयं को संसार के बुरे प्रभाव से निष्कलंक रखना. पवित्र बाइबल परम पिता परमेश्वर के सामने सच्ची और शुद्ध भक्ति वही है जिसमें अनाथों और विधवाओं की उनके दुःख दर्द में सुधि ली जाए और स्वयं को कोई सांसारिक कलंक न लगने दिया जाए। Hindi Holy Bible हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्कलंक रखें॥ पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) पिता परमेश्वर की दृष्टि में शुद्ध और निर्मल धर्म यह है : विपत्ति में पड़े हुए अनाथों और विधवाओं की सहायता करना और अपने को संसार के दूषण से बचाये रखना। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है कि अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उनकी सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्कलंक रखें। नवीन हिंदी बाइबल हमारे परमेश्वर और पिता की दृष्टि में शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है कि अनाथों और विधवाओं के दुःख में उनकी सुधि लें, और अपने आपको इस संसार से निष्कलंक रखें। इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उनकी सुधि लें, और अपने आपको संसार से निष्कलंक रखें। |
कैसे धन्य हैं वे, जिनका आचार-व्यवहार निर्दोष है, जिनका आचरण याहवेह की शिक्षाओं के अनुरूप है.
याहवेह प्रवासियों की हितचिंता कर उनकी रक्षा करते हैं वही हैं, जो विधवा तथा अनाथों को संभालते हैं, किंतु वह दुष्टों की युक्तियों को नष्ट कर देते हैं.
राज्य करनेवाले विद्रोही, और चोरों के मित्र हैं; सब घूस लेते हैं और लालची हैं. वे अनाथों की रक्षा नहीं करते; और न विधवाओं को न्याय दिलाते हैं.
यदि कोई मनुष्य के पुत्र के विरुद्ध कुछ कहे, उसे क्षमा कर दिया जाएगा किंतु यदि कोई पवित्र आत्मा की निंदा में कुछ कहता है, तो उसे क्षमा नहीं किया जाएगा—न तो इस युग में और न ही आनेवाले युग में.
वे दोनों ही परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी तथा प्रभु के सभी आदेशों और नियमों के पालन में दोषहीन थे.
इस संसार के स्वरूप में न ढलो, परंतु मन के नए हो जाने के द्वारा तुममें जड़ से परिवर्तन हो जाए कि तुम परमेश्वर की इच्छा को, जो उत्तम, ग्रहण करने योग्य तथा त्रुटिहीन है, सत्यापित कर सको.
परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी वे नहीं, जो व्यवस्था के सुननेवाले हैं परंतु धर्मी वे हैं, जो व्यवस्था का पालन करनेवाले हैं.
मसीह येशु, जिन्होंने हमारे पापों के कारण स्वयं को इसलिये बलिदान कर दिया कि हमारे परमेश्वर और पिता की इच्छानुसार वह हमें वर्तमान बुरे संसार से छुड़ायें,
यह स्पष्ट है कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के सामने कोई भी धर्मी नहीं ठहरता; क्योंकि लिखा है: “वह, जो धर्मी है, विश्वास से जीवित रहेगा.”
ख़तनित होना या न होना मसीह येशु में किसी महत्व का नहीं है; महत्व है सिर्फ विश्वास का जिसका प्रभाव दिखता है प्रेम में.
ऐसा कभी न हो कि मैं हमारे प्रभु येशु मसीह के क्रूस के अलावा और किसी भी विषय पर घमंड करूं. इन्हीं मसीह के कारण संसार मेरे लिए क्रूस पर चढ़ाया जा चुका है और मैं संसार के लिए.
जिनमें तुम पहले इस संसार के अनुसार और आकाशमंडल के अधिकारी, उस आत्मा के अनुसार जी रहे थे, जो आत्मा अब भी आज्ञा न माननेवालों में काम कर रहा है.
तब लेवी, (इसलिये कि तुम्हारे बीच मीरास में उसका कोई अंश नहीं है), विदेशी, अनाथ, विधवा, जो तुम्हारे ही नगरवासी हैं, आएंगे, इसमें से अपने उपभोग के लिए प्राप्त कर सकेंगे और संतुष्ट हो जाएंगे. तब याहवेह, तुम्हारे परमेश्वर तुम्हारे सारे परिश्रम को आशीषित कर तुम्हें समृद्धि प्रदान करेंगे.
हमारी आज्ञा का उद्देश्य है निर्मल हृदय से उत्पन्न प्रेम, शुद्ध अंतरात्मा तथा निष्कपट विश्वास.
परंतु यदि किसी विधवा के पुत्र-पौत्र हों तो वे सबसे पहले अपने ही परिवार के प्रति अपने कर्तव्य-पालन द्वारा परमेश्वर के भक्त होना सीखें तथा अपने माता-पिता के उपकारों का फल दें क्योंकि परमेश्वर को यही भाता है.
जिसकी हमारे लिए शिक्षा है कि हम “गलत” कामों और सांसारिक अभिलाषाओं का त्याग कर इस युग में संयम, धार्मिकता और परमेश्वर भक्ति का जीवन जिए,
इसके विपरीत ईश्वरीय ज्ञान सबसे पहले शुद्ध और फिर शांति फैलानेवाला, कोमल, विवेकशील, भले काम व दया से भरा हुआ, निष्पक्ष तथा कपट रहित होता है.
इसी जीभ से हम प्रभु और पिता परमेश्वर की वंदना करते हैं और इसी से हम मनुष्यों को, जो परमेश्वर के स्वरूप में रचे गए हैं, शाप भी देते हैं.
अरे विश्वासघातियो! क्या तुम्हें यह मालूम नहीं कि संसार से मित्रता परमेश्वर से शत्रुता है? इसलिये उसने, जो संसार की मित्रता से बंधा हुआ है, अपने आपको परमेश्वर का शत्रु बना लिया है.
क्योंकि इन्हीं के द्वारा उन्होंने हमें अपनी विशाल और बहुमूल्य प्रतिज्ञाएं प्रदान की हैं कि तुम संसार में बसी हुई कामासक्ति से प्रेरित भ्रष्टाचार से मुक्त हो ईश्वरीय स्वभाव में सहभागी हो जाओ.
यदि वे मसीह येशु हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता के सारे ज्ञान के द्वारा संसार की मलिनता से छूटकर निकलने के बाद दोबारा उसी में फंसकर उसी के अधीन हो गए हैं, तो यह स्पष्ट है कि उनकी वर्तमान स्थिति पिछली स्थिति से बदतर हो चुकी है.
इसलिये प्रिय भाई बहनो, जब तुम उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे हो, कोशिश करो कि प्रभु की दृष्टि में निष्कलंक तथा निर्दोष पाए जाओ तथा तुममें उनकी शांति का वास हो.
हम इस बात से परिचित हैं कि कोई भी, जो परमेश्वर से जन्मा है, पाप करता नहीं रहता परंतु परमेश्वर के पुत्र उसे सुरक्षित रखते हैं तथा वह दुष्ट उसे छू तक नहीं सकता.