योनातन और अहीमाज़ एन-रोगेल नामक स्थान पर ठहरे हुए थे. एक दासी ठहराई गई थी कि वह जाकर उन्हें सूचित करे और तब वे जाकर यह सूचना राजा दावीद को भेजें; क्योंकि यह ज़रूरी थी कि वे नगर में प्रवेश करते हुए देखे न जाएं.
यहोशू 18:16 - सरल हिन्दी बाइबल वह सीमा बढ़ती हुई बेन-हिन्नोम घाटी में स्थित पहाड़ी के पास पहुंचती है, जो उत्तर में रेफाइम की घाटी में है; और हिन्नोम, दक्षिण में यबूसियों का ढाल है, जो एन-रोगेल की ओर बढ़ जाती है. पवित्र बाइबल तब सीमा हिन्नोम की घाटी के निकट की पहाड़ी की तलहटी में उतरी। यह रपाईम घाटी का उत्तरी छोर था। यह सीमा यबूसी नगर के ठीक दक्षिण हिन्नोम घाटी में चलती चली गई। तब सीमा एनरोगेल तक चली गई। Hindi Holy Bible और उस पहाड़ के सिरे पर उतरा, जो हिन्नोम के पुत्र की तराई के साम्हने और रपाईम नाम तराई की उत्तर ओर है; वहां से वह हिन्नोम की तराई में, अर्थात यबूस की दक्खिन अलंग हो कर एनरोगेल को उतरा; पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) सीमा-रेखा वहां से नीचे उतर कर उस पर्वत की सीमा को स्पर्श करती थी, जो बेन-हिन्नोम की घाटी के सम्मुख है, जो रपाई घाटी के उत्तरी किनारे पर है। तत्पश्चात् सीमा-रेखा हिन्नोम की घाटी में उतरती, यबूसी पर्वत-श्रेणी के दक्षिणी किनारे को स्पर्श करती हुई एन-रोगेल जलाशय पर नीचे उतर जाती थी। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और उस पहाड़ के सिरे पर उतरी, जो हिन्नोम के पुत्र की तराई के सामने और रपाईम नामक तराई के उत्तरी ओर है; वहाँ से वह हिन्नोम की तराई में, अर्थात् यबूस के दक्षिणी ओर होकर एनरोगेल को उतरी; इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और उस पहाड़ के सिरे पर उतरी, जो हिन्नोम के पुत्र की तराई के सामने और रपाईम नामक तराई के उत्तरी ओर है; वहाँ से वह हिन्नोम की तराई में, अर्थात् यबूस के दक्षिणी ओर होकर एनरोगेल को उतरी; |
योनातन और अहीमाज़ एन-रोगेल नामक स्थान पर ठहरे हुए थे. एक दासी ठहराई गई थी कि वह जाकर उन्हें सूचित करे और तब वे जाकर यह सूचना राजा दावीद को भेजें; क्योंकि यह ज़रूरी थी कि वे नगर में प्रवेश करते हुए देखे न जाएं.
अदोनियाह ने एन-रोगेल नामक स्थान पर जाकर ज़ोहेलेथ नामक चट्टान के पास भेड़ों, बैलों और हष्ट-पुष्ट पशुओं की बलि चढ़ाई. इस मौके पर उसने अपने सभी भाइयों—राजकुमारों और यहूदिया के राजकीय अधिकारियों को तो आमंत्रित किया था,
उसने तोफेथ को अशुद्ध कर दिया, जो बेन-हिन्नोम घाटी में था, ताकि इसके बाद कोई भी मोलेख को बलि चढ़ाने के लिए यहां अपने पुत्र या पुत्री को बलि न करे.
इनके अलावा; वह बेन-हिन्नोम घाटी में धूप जलाता था और उसने अपने पुत्रों की अग्निबलि चढ़ाई. यह उन जनताओं की घृणित प्रथाएं थी, जिन्हें याहवेह ने इस्राएल वंशजों के सामने से दूर भगाया था.
बेन-हिन्नोम की घाटी में उसने अपने पुत्रों को आग में से होकर निकलने की प्रथा पूरी कराई थी. वह मोहिनी, शकुन विचारने वालों, प्रेत-सिद्धियों से व्यवहार रखता था. उसने याहवेह की दृष्टि में बड़ी बुराई करते हुए उनके क्रोध को भड़का दिया.
क्योंकि पहले से ही एक अग्निकुण्ड तैयार किया गया है; यह राजा के लिए तैयार किया गया है. अनेक लकड़ियों से बनाई गयी एक चिता; गंधक की धारा के समान, याहवेह अपनी श्वास इसमें डाल देते हैं.
तब तुम उनसे कहना, ‘यह सेनाओं के याहवेह का संदेश है: ठीक इसी प्रकार मैं इन लोगों को तथा इस नगर को चूर-चूर कर दूंगा, जैसे कोई कुम्हार द्वारा निर्मित बर्तन को तोड़ देता है, जिसे पुनर्निर्मित करना असंभव होता है. लोग शवों को तोफेथ में गाड़ेंगे, जब तक इन्हें गाड़ने के लिए स्थान शेष न रह जाएगा.
तब बेन-हिन्नोम की घाटी में जाओ, इसके लिए तुम्हें टूटे हुए बर्तनों के प्रवेश द्वार से जाना होगा. वहां तुम उस संदेश की वाणी करना जो मैं तुम्हें भेजा करूंगा,
इसलिये यह देखना कि वे दिन आ रहे हैं, यह याहवेह की वाणी है, जब इस स्थान की पहचान तोफेथ अथवा बेन-हिन्नोम की घाटी नहीं रह जाएगी, बल्कि तब यह नरसंहार घाटी के रूप में प्रख्यात हो जाएगी.
उन्होंने बेन-हिन्नोम की घाटी में बाल के लिए पूजा स्थलों का निर्माण किया कि वे मोलेख के लिए अपने पुत्र-पुत्रियों को अग्निबलि प्रथा में समर्पित करें, मैंने उन्हें इसके लिए कोई आदेश न दिया था; हालांकि इसका तो विचार ही मेरे मस्तिष्क में नहीं आया, कि वे यह घृणित कार्य करें तथा यहूदिया को यह पाप करने के लिए प्रेरित करें.
यहूदाह गोत्रज येरूशलेम के ही रहनेवाले यबूसियों को निकाल न सके. इस कारण यबूसी अब तक यहूदाह गोत्रजों के साथ हैं.
त्सेलाह, एलेफ तथा यबूसी नगर, अर्थात् येरूशलेम, गिबियाह तथा किरयथ—ये चौदह नगर, उनके गांवों सहित. बिन्यामिन वंश को, उनके परिवारों के अनुसार मिला हुआ हिस्सा यह था.
मगर बिन्यामिन के वंशजों ने येरूशलेम में रह रहे यबूसियों को वहां से नहीं निकाला. परिणामस्वरूप यबूसी आज तक बिन्यामिन के वंशजों के साथ येरूशलेम में ही रह रहे हैं.
तब यहूदाह गोत्रजों ने येरूशलेम पर हमला किया, उसे अपने अधीन कर लिया, उसके निवासियों को तलवार से मार दिया और नगर में आग लगा दी.
मगर वह व्यक्ति अब वहां रात बिताने के लिए तैयार न था. सो वह अपनी यात्रा पर निकल पड़ा. चलते हुए वे येबूस अर्थात् येरूशलेम के पास एक जगह पर पहुंचे. उसके साथ एक जोड़ा लकड़ी कसे हुए गधे थे, तथा उसकी उप-पत्नी भी उसके साथ थी.