उस स्थिति में, जब उस देश के निवासी किसी शब्बाथ पर या किसी अलग किए हुए प्रभु के शब्बाथ पर बेचने के लिए अपना कुछ सामान या अनाज लेकर आएं, हम शब्बाथ पर या ऐसे अलग किए हुए दिन पर हम उनसे इसको नहीं खरीदेंगे. हम हर सातवें साल न तो खेती करेंगे और न उधार में दिए हुए पैसे को वापस लेने की कोशिश करेंगे.
लेकिन सातवें वर्ष में कुछ नहीं करना सब कुछ वैसा ही छोड़ देना. तुममें जो गरीब हैं, वह उस वर्ष की उपज लें, और जो बच जाता हैं, वह पशुओं को खाने दें. अंगूर और जैतून के बगीचे को भी ऐसे ही छोड़ देना.
इसके अलावा, आप हमें ऐसे किसी देश में नहीं ले आए हैं, जहां दूध और मधु का भण्ड़ार है, और न ही आपने हमें ऐसी मीरास दी है, जहां खेत तथा अंगूरों के बगीचे हैं. क्या मतलब है आपका, आप इनकी आंखें निकालना चाह रहे हैं? हम वहां नहीं आएंगे!”