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अय्यूब 7:4 - सरल हिन्दी बाइबल

मैं इस विचार के साथ बिछौने पर जाता हूं, ‘मैं कब उठूंगा?’ किंतु रात्रि समाप्‍त नहीं होती. मैं प्रातःकाल तक करवटें बदलता रह जाता हूं.

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पवित्र बाइबल

जब मैं लेटता हूँ, मैं सोचा करता हूँ कि अभी और कितनी देर है मेरे उठने का? यह रात घसीटती चली जा रही है। मैं छटपटाता और करवट बदलता हूँ, जब तक सूरज नहीं निकल आता।

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Hindi Holy Bible

जब मैं लेट लाता, तब कहता हूँ, मैं कब उठूंगा? और रात कब बीतेगी? और पौ फटने तक छटपटाते छटपटाते उकता जाता हूँ।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

जब मैं सोता हूं तब कहता हूं, “मैं कब उठूंगा?” पर रात लम्‍बी होती है, और कटती नहीं। मैं प्रात: होने तक शैया पर करवटें बदलता रहता हूं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

जब मैं लेट जाता तब कहता हूँ, ‘मैं कब उठूँगा?’ पर रात लम्बी होती जाती है, और पौ फटने तक छटपटाते छटपटाते उकता जाता हूँ।

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

जब मैं लेट जाता, तब कहता हूँ, ‘मैं कब उठूँगा?’ और रात कब बीतेगी? और पौ फटने तक छटपटाते-छटपटाते थक जाता हूँ।

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अय्यूब 7:4
9 क्रॉस रेफरेंस  

वे तो रात्रि को भी दिन में बदल देते हैं, वे कहते हैं, ‘प्रकाश निकट है,’ जबकि वे अंधकार में होते हैं.


रात्रि में मेरी हड्डियों में चुभन प्रारंभ हो जाती है; मेरी चुभती वेदना हरदम बनी रहती है.


संध्याकालीन छाया-समान मेरा अस्तित्व समाप्‍ति पर है; मुझे ऐसे झाड़ दिया जाता है मानो मैं अरबेह टिड्डी हूं.


मुझे प्रभु की प्रतीक्षा है उन रखवालों से भी अधिक, जिन्हें सूर्योदय की प्रतीक्षा रहती है, वस्तुतः उन रखवालों से कहीं अधिक जिन्हें भोर की प्रतीक्षा रहती है.


कराहते-कराहते मैं थक चुका हूं, प्रति रात्रि मेरे आंसुओं से मेरा बिछौना भीग जाता है, मेरे आंसू मेरा तकिया भिगोते रहते हैं.


जब मैं संकट में निराश हो चुका था; आपने मेरी आंख न लगने दी.


“हे दुखियारी, तू जो आंधी से सताई है और जिसको शांति नहीं मिली, अब मैं तुम्हारी कलश को अमूल्य पत्थरों से जड़ दूंगा, तथा तुम्हारी नीवों को नीलमणि से बनाऊंगा.


प्रातः तुम विचार करोगे, “उत्तम होगा यह प्रातः नहीं, संध्या होती!” वैसे ही तुम संध्याकाल में यह कामना करते रहोगे: “उत्तम होता कि यह प्रभात होता!” यह उस आतंक के कारण होगा, जिसने तुम्हें भर रखा है, उस दृश्य के कारण, जो तुम्हारे सामने छाया रहता है.