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सभोपदेशक 1:17 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

मैं ने अपना मन लगाया कि बुद्धि का भेद लूँ और बावलेपन और मूर्खता को भी जान लूँ। मुझे जान पड़ा कि यह भी वायु को पकड़ना है।

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पवित्र बाइबल

मैंने यह जानने का निश्चय किया कि मूर्खतापूर्ण चिन्तन से विवेक और ज्ञान किस प्रकार श्रेष्ठ हैं। किन्तु मुझे ज्ञात हुआ कि विवेकी बनने का प्रयास वैसा ही है जैसे वायु को पकड़ने का प्रयत्न।

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Hindi Holy Bible

और मैं ने अपना मन लगाया कि बुद्धि का भेद लूं और बावलेपन और मूर्खता को भी जान लूं। मुझे जान पड़ा कि यह भी वायु को पकड़ना है॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

अत: मैंने अपना मन यह जानने में लगाया कि बुद्धि क्‍या है, पागलपन और मूर्खता क्‍या है। तब मुझे ज्ञात हुआ कि यह भी हवा को पकड़ना है। क्‍योंकि−

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नवीन हिंदी बाइबल

मैंने अपना मन लगाया कि बुद्धि को समझूँ, और पागलपन तथा मूर्खता को भी जान लूँ। मैं समझ गया कि यह भी वायु को पकड़ने के समान है।

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सरल हिन्दी बाइबल

मैंने अपना हृदय बुद्धि को और बावलेपन और मूर्खता को जानने में लगाया, किंतु मुझे अहसास हुआ कि यह भी हवा से झगड़ना ही है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

और मैंने अपना मन लगाया कि बुद्धि का भेद लूँ और बावलेपन और मूर्खता को भी जान लूँ। मुझे जान पड़ा कि यह भी वायु को पकड़ना है।

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सभोपदेशक 1:17
14 क्रॉस रेफरेंस  

जब मैं सोचने लगा कि इसे मैं कैसे समझूँ, तो यह मेरी दृष्‍टि में अति कठिन समस्या थी,


उपदेशक कहता है, सब व्यर्थ ही व्यर्थ; सब कुछ व्यर्थ है।


इसलिये मैं ने अपने जीवन से घृणा की, क्योंकि जो काम संसार में किया जाता है मुझे बुरा मालूम हुआ; क्योंकि सब कुछ व्यर्थ और वायु को पकड़ना है।


मैं ने मन में सोचा कि किस प्रकार से मेरी बुद्धि बनी रहे और मैं अपने प्राण को दाखमधु पीने से किस प्रकार बहलाऊँ और कैसे मूर्खता को थामे रहूँ, जब तक मालूम न करूँ कि वह अच्छा काम कौन सा है जिसे मनुष्य अपने जीवन भर करता रहे।


क्योंकि जैसी मनुष्यों की वैसी ही पशुओं की भी दशा होती है; दोनों की वही दशा होती है, जैसे एक मरता वैसे ही दूसरा भी मरता है। सभों की स्वांस एक सी है, और मनुष्य पशु से कुछ बढ़कर नहीं; सब कुछ व्यर्थ ही है।


तब मैं ने सब परिश्रम के काम और सब सफल कामों को देखा जो लोग अपने पड़ोसी से जलन के कारण करते हैं। यह भी व्यर्थ और मन का कुढ़ना है।


चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो।


आँखों से देख लेना मन की चंचलता से उत्तम है; यह भी व्यर्थ और मन का कुढ़ना है।


जब मैं ने बुद्धि प्राप्‍त करने और सब काम देखने के लिये जो पृथ्वी पर किए जाते हैं अपना मन लगाया, कि कैसे मनुष्य रात–दिन जागते रहते हैं;


जो कुछ सूर्य के नीचे किया जाता है उस में यह एक दोष है कि सब लोगों की एक सी दशा होती है; और मनुष्यों के मनों में बुराई भरी हुई है, और जब तक वे जीवित रहते हैं उनके मन में बावलापन रहता है, और उसके बाद वे मरे हुओं में जा मिलते हैं।


सब बातों को परखो; जो अच्छी है उसे पकड़े रहो।