रोमियों 4:14 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्योंकि यदि व्यवस्थावाले वारिस हैं, तो विश्वास व्यर्थ और प्रतिज्ञा निष्फल ठहरी। पवित्र बाइबल यदि जो व्यवस्था को मानते है, वे जगत के उत्तराधिकारी हैं तो विश्वास का कोई अर्थ नहीं रहता और वचन भी बेकार हो जाता है। Hindi Holy Bible क्योंकि यदि व्यवस्था वाले वारिस हैं, तो विश्वास व्यर्थ और प्रतिज्ञा निष्फल ठहरी। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यदि व्यवस्था के अधीन रहने वाले ही उत्तराधिकारी बनते हैं, तो विश्वास व्यर्थ है और प्रतिज्ञा रद्द हो जाती है; नवीन हिंदी बाइबल इसलिए यदि व्यवस्थावाले उत्तराधिकारी हैं, तो विश्वास व्यर्थ ठहरा और प्रतिज्ञा निष्फल हुई; सरल हिन्दी बाइबल यदि व्यवस्था का पालन करने से उन्हें मीरास प्राप्त होती है तो विश्वास खोखला और प्रतिज्ञा बेअसर साबित हो गई है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि यदि व्यवस्थावाले वारिस हैं, तो विश्वास व्यर्थ और प्रतिज्ञा निष्फल ठहरी। |
उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
मैं इस स्थान में यहूदा और यरूशलेम की युक्तियों को निष्फल कर दूँगा; और उन्हें उनके प्राणों के शत्रुओं के हाथ की तलवार चलवाकर गिरा दूँगा। उनके शवों को मैं आकाश के पक्षियों और भूमि के जीवजन्तुओं का आहार कर दूँगा।
परन्तु यदि उसका पति उसकी मन्नत आदि सुनकर उसी दिन पूरी रीति से तोड़ दे, तो उसकी मन्नतें आदि जो कुछ उसके मुँह से अपने बन्धन के विषय निकला हो, उसमें से एक बात भी स्थिर न रहे; उसके पति ने सब तोड़ दिया है; इसलिये यहोवा उस स्त्री का वह पाप क्षमा करेगा।
तो क्या हम व्यवस्था को विश्वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं! वरन् व्यवस्था को स्थिर करते हैं।
इसी कारण प्रतिज्ञा विश्वास पर आधारित है कि अनुग्रह की रीति पर हो, कि वह उसके सब वंशजों के लिये दृढ़ हो, न कि केवल उसके लिये जो व्यवस्थावाला है वरन् उनके लिये भी जो अब्राहम के समान विश्वासवाले हैं; वही तो हम सब का पिता है, –
क्या मसीह बँट गया? क्या पौलुस तुम्हारे लिये क्रूस पर चढ़ाया गया? या तुम्हें पौलुस के नाम पर बपतिस्मा मिला?
मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराता; क्योंकि यदि व्यवस्था के द्वारा धार्मिकता होती, तो मसीह का मरना व्यर्थ होता।
और उसमें पाया जाऊँ; न कि अपनी उस धार्मिकता के साथ, जो व्यवस्था से है, वरन् उस धार्मिकता के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है और परमेश्वर की ओर से विश्वास करने पर मिलती है;
(इसलिये कि व्यवस्था ने किसी बात की सिद्धि नहीं की), और उसके स्थान पर एक ऐसी उत्तम आशा रखी गई है जिसके द्वारा हम परमेश्वर के समीप जा सकते हैं।
क्योंकि व्यवस्था तो निर्बल मनुष्यों को महायाजक नियुक्त करती है, परन्तु उस शपथ का वचन, जो व्यवस्था के बाद खाई गई, उस पुत्र को नियुक्त करता है जो युगानुयुग के लिये सिद्ध किया गया है।