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रोमियों 13:6 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

इसलिये कर भी दो क्योंकि शासन करनेवाले परमेश्‍वर के सेवक हैं और सदा इसी काम में लगे रहते हैं।

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पवित्र बाइबल

इसलिए तो तुम लोग कर भी चुकाते हो क्योंकि अधिकारी परमेश्वर के सेवक हैं जो अपने कर्तव्यों को ही पूरा करने में लगे रहते हैं।

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Hindi Holy Bible

इसलिये कर भी दो, क्योंकि शासन करने वाले परमेश्वर के सेवक हैं, और सदा इसी काम में लगे रहते हैं।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

आप लोग इसीलिए राजकर चुकाते हैं। अधिकारीगण परमेश्‍वर के जनसेवक हैं और वे अपनी इस सेवा में लगे रहते हैं।

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नवीन हिंदी बाइबल

इसी कारण तुम कर भी चुकाते हो; क्योंकि अधिकारी परमेश्‍वर के सेवक हैं जो निरंतर इसी सेवा में लगे हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

तुम इसी कारण राज्य-कर भी चुकाते हो कि राजा परमेश्वर के जनसेवक हैं और इसी काम के लिए समर्पित हैं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

इसलिए कर भी दो, क्योंकि शासन करनेवाले परमेश्वर के सेवक हैं, और सदा इसी काम में लगे रहते हैं।

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रोमियों 13:6
18 क्रॉस रेफरेंस  

जब दमिश्क के अरामी सोबा के राजा हददेजेर की सहायता करने को आए, तब दाऊद ने अरामियों में से बाईस हज़ार पुरुष मारे।


दाऊद समस्त इस्राएल पर राज्य करता था, और वह अपनी सारी प्रजा के साथ न्याय और धर्म के काम करता था।


अब राजा को विदित हो कि यदि वह नगर बस गया और उसकी शहरपनाह बन गई, तब तो वे लोग कर, चुंगी, और राहदारी फिर न देंगे, और अन्त में राजाओं की हानि होगी।


यरूशलेम के सामर्थी राजा भी हुए जो महानद के पार से समस्त देश पर राज्य करते थे, और कर, चुंगी, और राहदारी उनको दी जाती थी।


वरन् मैं आज्ञा देता हूँ कि तुम्हें यहूदियों के उन पुरनियों से ऐसा बर्ताव करना होगा, कि परमेश्‍वर का वह भवन बनाया जाए; अर्थात् राजा के धन में से, महानद के पार के कर में से, उन पुरुषों को फुर्ती के साथ खर्चा दिया जाए; ऐसा न हो कि उनको रुकना पड़े।


फिर कुछ यह कहते थे, “हम ने राजा के कर के लिये अपने अपने खेतों और दाख की बारियों पर रुपया उधार लिया।


वे यह कहकर उस पर दोष लगाने लगे : “हम ने इसे लोगों को बहकाते, और कैसर को कर देने से मना करते, और अपने आप को मसीह, राजा कहते हुए सुना है।”


जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देनेवाला उदारता से दे; जो अगुआई करे, वह उत्साह से करे; जो दया करे, वह हर्ष से करे।


इसलिये अधीन रहना न केवल उस क्रोध के डर से आवश्यक है, वरन् विवेक भी यही गवाही देता है।


इसलिये हर एक का हक्‍क चुकाया करो; जिसे कर चाहिए, उसे कर दो; जिसे महसूल चाहिए, उसे महसूल दो; जिससे डरना चाहिए, उससे डरो; जिसका आदर करना चाहिए, उसका आदर करो।