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रूत 3:7 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

जब बोअज़ खा–पी चुका, और उसका मन आनन्दित हुआ, तब जाकर अनाज के ढेर के एक सिरे पर लेट गया। तब वह चुपचाप गई, और उसके पाँव उघाड़ के लेट गई।

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पवित्र बाइबल

खाने और पीने के बाद बोअज बहुत सन्तुष्ट था। बोअज अन्न के ढेर के पास लेटने गया। तब रुत बहुत धीरे से उसके पास गई और उसने उसके पैरों का वस्त्र उघाड़ दिया। रूत उसके पैरों के बगल में लेट गई।

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Hindi Holy Bible

जब बोअज खा पी चुका, और उसका मन आनन्दित हुआ, तब जा कर राशि के एक सिरे पर लेट गया। तब वह चुपचाप गई, और उसके पांव उघार के लेट गई।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

बोअज खा-पी चुका था। उसका हृदय आनन्‍दमग्‍न था। वह सोने के लिए अनाज के ढेर के किनारे आया। रूत चुपचाप आई। वह बोअज के पैरों की चादर उठाकर वहीं लेट गई।

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सरल हिन्दी बाइबल

बोअज़ बहुत ही खुश थे, जब उन्होंने खाना-पीना खत्म किया, वह अनाज के ढेर के पास सोने के लिए चले गए. तब रूथ दबे पांव वहां आई, और बोअज़ के पैरों की चादर उठाकर वहां लेट गई.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

जब बोअज खा पी चुका, और उसका मन आनन्दित हुआ, तब जाकर अनाज के ढेर के एक सिरे पर लेट गया। तब वह चुपचाप गई, और उसके पाँव उघाड़ के लेट गई।

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रूत 3:7
18 क्रॉस रेफरेंस  

तब यूसुफ अपने सामने से भोजन–वस्तुएँ उठा उठाके उनके पास भेजने लगा, और बिन्यामीन को अपने भाइयों से पचगुणा भोजनवस्तु मिली। इस प्रकार उन्होंने उसके संग मनमाना खाया पिया।


तब अबशालोम ने अपने सेवकों को आज्ञा दी, “सावधान रहो और जब अम्नोन दाखमधु पीकर नशे में आ जाए, और मैं तुम से कहूँ, ‘अम्नोन को मारो,’ तब निडर होकर उसको मार डालना। क्या इस आज्ञा का देनेवाला मैं नहीं हूँ? हियाव बाँधकर पुरुषार्थ करना।”


उसकी पत्नी ईज़ेबेल ने उससे कहा, “क्या तू इस्राएल पर राज्य करता है कि नहीं? उठकर भोजन कर; और तेरा मन आनन्दित हो; यिज्रेली नाबोत की दाख की बारी मैं तुझे दिलवा दूँगी।”


सातवें दिन, जब राजा का मन दाखमधु में मग्न था, तब उसने महूमान, बिजता, हर्बोना, बिगता, अबगता, जेतेर और कर्कस नामक सातों खोजों को जो क्षयर्ष राजा के सम्मुख सेवा टहल किया करते थे, आज्ञा दी,


और दाखमधु जिस से मनुष्य का मन आनन्दित होता है, और तेल जिस से उसका मुख चमकता है, और अन्न जिससे वह सम्भल जाता है।


भोज हँसी खुशी के लिये किया जाता है, और दाखमधु से जीवन को आनन्द मिलता है; और रुपयों से सब कुछ प्राप्‍त होता है।


मनुष्य के लिये खाने–पीने और परिश्रम करते हुए अपने जीव को सुखी रखने के सिवाय और कुछ भी अच्छा नहीं। मैं ने देखा कि यह भी परमेश्‍वर की ओर से मिलता है;


तब मैं ने आनन्द को सराहा, क्योंकि सूर्य के नीचे मनुष्य के लिये खाने–पीने और आनन्द करने को छोड़ और कुछ भी अच्छा नहीं, क्योंकि यही उसके जीवन भर जो परमेश्‍वर उसके लिये धरती पर ठहराए, उसके परिश्रम में उसके संग बना रहेगा।


अपने मार्ग पर चला जा, अपनी रोटी आनन्द से खाया कर, और मन में सुख मानकर अपना दाखमधु पिया कर; क्योंकि परमेश्‍वर तेरे कामों से प्रसन्न हो चुका है।


इसलिये तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिये करो।


दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इससे लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ,


जब उनका मन मगन हो गया, तब उन्हों ने कहा, “शिमशोन को बुलवा लो कि वह हमारे लिये तमाशा करे।” इसलिये शिमशोन बन्दीगृह में से बुलवाया गया, और उनके लिये तमाशा करने लगा, और खम्भों के बीच खड़ा कर दिया गया।


वे आनन्द कर रहे थे कि नगर के लुच्‍चों ने घर को घेर लिया, और द्वार को खटखटा–खटखटाकर घर के उस बूढ़े स्वामी से कहने लगे, “जो पुरुष तेरे घर में आया है, उसे बाहर ले आ, कि हम उस से भोग करें।”


तब उन दोनों ने बैठकर संग संग खाया–पिया; फिर स्त्री के पिता ने उस पुरुष से कहा, “और एक रात टिके रह और आनन्द कर।”


जब वह पुरुष अपनी रखैल और सेवक समेत विदा होने को उठा, तब उसके ससुर अर्थात् स्त्री के पिता ने उससे कहा, “देख, दिन तो ढल चला है, और साँझ होने पर है; इसलिये तुम लोग रात भर टिके रहो। देख, दिन तो डूबने पर है; इसलिये यहीं आनन्द करता हुआ रात बिता, और सबेरे उठकर अपना मार्ग लेना, और अपने डेरे को चले जाना।”


तब वह खलिहान को गई और अपनी सास की आज्ञा के अनुसार ही किया।


आधी रात को वह पुरुष चौंक पड़ा, और आगे की ओर झुककर क्या पाया, कि उसके पाँवों के पास कोई स्त्री लेटी है।