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सभोपदेशक 10:19 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

19 भोज हँसी खुशी के लिये किया जाता है, और दाखमधु से जीवन को आनन्द मिलता है; और रुपयों से सब कुछ प्राप्‍त होता है।

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पवित्र बाइबल

19 लोग भोजन का आनन्द लेते हैं और दाखमधु जीवन को और अधिक खुशियों से भर देती हैं। किन्तु धन के चक्कर में सभी पड़े रहते हैं।

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Hindi Holy Bible

19 भोज हंसी खुशी के लिये किया जाता है, और दाखमधु से जीवन को आनन्द मिलता है; और रूपयों से सब कुछ प्राप्त होता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

19 भोज आमोद-प्रमोद के लिए किया जाता है, अंगूर-पान से जीवन आनन्‍दित होता है। रुपये से सब कुछ प्राप्‍त हो सकता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

19 भोज हँसी खुशी के लिए किया जाता है, और दाखमधु जीवन को आनंद से भर देता है; और रुपयों से सब कुछ प्राप्‍त हो जाता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

19 लोग मनोरंजन के लिए भोजन करते हैं, दाखमधु जीवन में आनंद को भर देती है, और धन से हर एक समस्या का समाधान होता है.

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सभोपदेशक 10:19
33 क्रॉस रेफरेंस  

तब यूसुफ अपने सामने से भोजन–वस्तुएँ उठा उठाके उनके पास भेजने लगा, और बिन्यामीन को अपने भाइयों से पचगुणा भोजनवस्तु मिली। इस प्रकार उन्होंने उसके संग मनमाना खाया पिया।


तब अबशालोम ने अपने सेवकों को आज्ञा दी, “सावधान रहो और जब अम्नोन दाखमधु पीकर नशे में आ जाए, और मैं तुम से कहूँ, ‘अम्नोन को मारो,’ तब निडर होकर उसको मार डालना। क्या इस आज्ञा का देनेवाला मैं नहीं हूँ? हियाव बाँधकर पुरुषार्थ करना।”


राजा दाऊद ने ओर्नान से कहा, “नहीं, मैं अवश्य इसका पूरा दाम ही देकर इसे मोल लूँगा; जो तेरा है, उसे मैं यहोवा के लिये नहीं लूँगा, और न सेंतमेंत का होमबलि चढ़ाऊँगा।”


और उनके आसपास सब रहनेवालों ने चाँदी के पात्र, सोना, धन, पशु और अनमोल वस्तुएँ देकर, उनकी सहायता की; यह उन सबसे अधिक था जो लोगों ने अपनी अपनी इच्छा से दिया।


और मैं ने उनसे कहा, “हम लोगों ने तो अपनी शक्‍ति भर अपने यहूदी भाइयों को जो अन्यजातियों के हाथ बिक गए थे, दाम देकर छुड़ाया है, फिर क्या तुम अपने भाइयों को बेचोगे? क्या वे हमारे हाथ बिकेंगे?” तब वे चुप रहे और कुछ न कह सके।


सातवें दिन, जब राजा का मन दाखमधु में मग्न था, तब उसने महूमान, बिजता, हर्बोना, बिगता, अबगता, जेतेर और कर्कस नामक सातों खोजों को जो क्षयर्ष राजा के सम्मुख सेवा टहल किया करते थे, आज्ञा दी,


और दाखमधु जिस से मनुष्य का मन आनन्दित होता है, और तेल जिस से उसका मुख चमकता है, और अन्न जिससे वह सम्भल जाता है।


उसने उदारता से दरिद्रों को दान दिया, उसका धर्म सदा बना रहेगा; और उसका सींग महिमा के साथ ऊँचा किया जाएगा।


मैं ने मन में सोचा कि किस प्रकार से मेरी बुद्धि बनी रहे और मैं अपने प्राण को दाखमधु पीने से किस प्रकार बहलाऊँ और कैसे मूर्खता को थामे रहूँ, जब तक मालूम न करूँ कि वह अच्छा काम कौन सा है जिसे मनुष्य अपने जीवन भर करता रहे।


अपने मार्ग पर चला जा, अपनी रोटी आनन्द से खाया कर, और मन में सुख मानकर अपना दाखमधु पिया कर; क्योंकि परमेश्‍वर तेरे कामों से प्रसन्न हो चुका है।


उसके व्यापार की प्राप्‍ति, और उसके छिनाले की कमाई, यहोवा के लिये पवित्र की जाएगी, वह न भण्डार में रखी जाएगी न संचय की जाएगी; क्योंकि उसके व्यापार की प्राप्‍ति, उन्हीं के काम में आएगी जो यहोवा के सामने रहा करेंगे, कि उनको भरपूर भोजन और चमकीला वस्त्र मिले।


सड़कों में लोग दाखमधु के लिये चिल्‍लाएँगे; आनन्द मिट जाएगा: देश का सारा हर्ष जाता रहेगा।


तौभी इसलिये कि हम उन्हें ठोकर न खिलाएँ, तू झील के किनारे जाकर बंसी डाल, और जो मछली पहले निकले, उसे ले; उसका मुँह खोलने पर तुझे एक सिक्‍का मिलेगा, उसी को लेकर मेरे और अपने बदले उन्हें दे देना।”


यीशु ने उससे कहा, “यदि तू सिद्ध होना चाहता है तो जा, अपना माल बेचकर कंगालों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा; और आकर मेरे पीछे हो ले।”


और अपने प्राण से कहूँगा कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत सम्पत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह।’


और मैं तुम से कहता हूँ कि अधर्म के धन से अपने लिये मित्र बना लो, ताकि जब वह जाता रहे तो वे तुम्हें अनन्त निवासों में ले लें।


और हेरोदेस के भण्डारी खुज़ा की पत्नी योअन्ना, और सूसन्नाह, और बहुत सी अन्य स्त्रियाँ। ये अपनी सम्पत्ति से उसकी सेवा करती थीं।


तब चेलों ने निर्णय किया कि हर एक अपनी–अपनी पूंजी के अनुसार यहूदिया में रहनेवाले भाइयों की सहायता के लिये कुछ भेजे।


वे अपनी–अपनी सम्पत्ति और सामान बेच–बेचकर जैसी जिसकी आवश्यकता होती थी बाँट दिया करते थे।


क्योंकि अन्यजातियों की इच्छा के अनुसार काम करने, और लुचपन की बुरी अभिलाषाओं, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, पियक्‍कड़पन, और घृणित मूर्तिपूजा में जहाँ तक हम ने पहले समय गँवाया, वही बहुत हुआ।


तब उसका पिता उस स्त्री के यहाँ गया, और शिमशोन ने जवानों की रीति के अनुसार वहाँ भोज दिया।


दाखलता ने उन से कहा, ‘क्या मैं अपने नये मधु को छोड़, जिससे परमेश्‍वर और मनुष्य दोनों को आनन्द होता है, वृक्षों की अधिकारिणी होकर इधर उधर डोलने को चलूँ?’


तब अबीगैल नाबाल के पास लौट गई; और क्या देखती है, कि वह घर में राजा का सा भोज कर रहा है। और नाबाल का मन मगन है, और वह नशे में अति चूर हो गया है। इसलिये उस ने भोर के उजियाला होने से पहले उससे कुछ भी न कहा।


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