पूर्वी फाटक के दोनों ओर तीन तीन पहरेवाली कोठरियाँ थीं जो सब एक ही माप की थीं, और दोनों ओर के खम्भे भी एक ही माप के थे।
यहेजकेल 40:44 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) भीतरी आँगन के उत्तरी फाटक के बाहर गानेवालों की कोठरियाँ थीं जिनके द्वार दक्षिण की ओर थे; और पूर्वी फाटक की ओर एक कोठरी थी, जिसका द्वार उत्तर की ओर था। पवित्र बाइबल भीतरी आँगन के फाटक के बाहर दो कमरे थे। एक उत्तरी फाटक के साथ था। इसका सामना दक्षिण को था। दूसरा कमरा दक्षिण फाटक के साथ था। इसका सामना उत्तर को था। Hindi Holy Bible और भीतरी आंगन की उत्तरी फाटक की अलंग के बाहर गाने वालों की कोठरियां थीं जिनके द्वार दक्खिन ओर थे; और पूवीं फाटक की अलंग पर एक कोठरी थी, जिसका द्वार उत्तर ओर था। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इसके पश्चात् वह मुझे बाहर से भीतरी आंगन में ले गया। वहाँ मैंने दो कमरे देखे। एक कमरा उत्तरी फाटक के दक्षिण में था, और दूसरा कमरा दक्षिणी फाटक के उत्तर में था। सरल हिन्दी बाइबल भीतरी द्वार के बाहर, भीतरी आंगन के अंदर दो कमरे थे, एक उत्तरी द्वार के तरफ था, जो दक्षिण की ओर खुलता था, और दूसरा दक्षिणी द्वार के तरफ था, जो उत्तर की ओर खुलता था. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 भीतरी आँगन के उत्तरी फाटक के बाहर गानेवालों की कोठरियाँ थीं जिनके द्वार दक्षिण ओर थे; और पूर्वी फाटक की ओर एक कोठरी थी, जिसका द्वार उत्तर ओर था। |
पूर्वी फाटक के दोनों ओर तीन तीन पहरेवाली कोठरियाँ थीं जो सब एक ही माप की थीं, और दोनों ओर के खम्भे भी एक ही माप के थे।
तब वह मुझे बाहरी आँगन में ले गया, और उस आँगन के चारों ओर कोठरियाँ थीं; और एक फर्श बना हुआ था, जिस पर तीस कोठरियाँ बनी थीं।
भीतरी आँगन के उत्तर और पूर्व की ओर दूसरे फाटकों के सामने फाटक थे और उसने फाटकों की दूरी मापकर सौ हाथ की पाई।
दक्षिण की ओर भी भीतरी आँगन का एक फाटक था, और उसने दक्षिणी ओर के दोनों फाटकों की दूरी मापकर सौ हाथ की पाई।
अर्थात् इसकी भी पहरेवाली कोठरियाँ, और खम्भे, और खम्भों का ओसारा, सब वैसे ही थे; और इसके और इसके खम्भों के ओसारे के भी चारों ओर खिड़कियाँ थीं; और इसकी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।
पहरेवाली कोठरियाँ बाँस भर लम्बी और बाँस भर चौड़ी थीं; और दो दो कोठरियों का अन्तर पाँच हाथ का था; और फाटक की डेवढ़ी जो फाटक के ओसारे के पास भवन की ओर थी, वह भी बाँस भर की थी।
और आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने–अपने मन में प्रभु के सामने गाते और कीर्तन करते रहो।
मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो, और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।