मैं तेरे पवित्र मन्दिर की ओर दण्डवत् करूँगा, और तेरी करुणा और सच्चाई के कारण तेरे नाम का धन्यवाद करूँगा, क्योंकि तू ने अपने वचन को अपने बड़े नाम से अधिक महत्त्व दिया है।
यशायाह 42:21 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यहोवा को अपनी धार्मिकता के निमित्त ही यह भाया है कि व्यवस्था की बड़ाई अधिक करे। पवित्र बाइबल यहोवा अपने सेवक के साथ सच्चा रहना चाहता है। इसलिए वह लोगों के लिए अद्भुत उपदेश देता है। Hindi Holy Bible यहोवा को अपनी धामिर्कता के निमित्त ही यह भाया है कि व्यवस्था की बड़ाई अधिक करे। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) अपनी धार्मिकता के कारण अपनी व्यवस्था को महिमा देने के लिए, उसको गौरव प्रदान करने के लिए प्रभु अपने सेवक इस्राएल से प्रसन्न हुआ था। सरल हिन्दी बाइबल याहवेह अपनी धार्मिकता के लिये अपनी व्यवस्था की प्रशंसा ज्यादा करवाना चाहा. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यहोवा को अपनी धार्मिकता के निमित्त ही यह भाया है कि व्यवस्था की बड़ाई अधिक करे। (मत्ती 5:17,18, रोम. 7:12; 10:4) |
मैं तेरे पवित्र मन्दिर की ओर दण्डवत् करूँगा, और तेरी करुणा और सच्चाई के कारण तेरे नाम का धन्यवाद करूँगा, क्योंकि तू ने अपने वचन को अपने बड़े नाम से अधिक महत्त्व दिया है।
हे मेरे परमेश्वर, मैं तेरी इच्छा पूरी करने से प्रसन्न हूँ; और तेरी व्यवस्था मेरे अन्त:करण में बसी है।”
मैं प्रभु यहोवा के पराक्रम के कामों का वर्णन करता हुआ आऊँगा, मैं केवल तेरे ही धर्म की चर्चा किया करूँगा।
हे परमेश्वर, तेरा धर्म अति महान् है। तू जिस ने महाकार्य किए हैं, हे परमेश्वर, तेरे तुल्य कौन है?
वह न थकेगा और न हियाव छोड़ेगा जब तक वह न्याय को पृथ्वी पर स्थिर न करे; और द्वीपों के लोग उसकी व्यवस्था की बाट जोहेंगे।
“हे मेरी प्रजा के लोगो, मेरी ओर ध्यान धरो; हे मेरे लोगो, कान लगाकर मेरी सुनो; क्योंकि मेरी ओर से व्यवस्था दी जाएगी, और मैं अपना नियम देश देश के लोगों की ज्योति होने के लिए स्थिर करूँगा।
वह बोल ही रहा था कि एक उजले बादल ने उन्हें छा लिया, और उस बादल में से यह शब्द निकला : “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिस से मैं प्रसन्न हूँ : इस की सुनो।”
यीशु ने उसको यह उत्तर दिया, “अब तो ऐसा ही होने दे, क्योंकि हमें इसी रीति से सब धार्मिकता को पूरा करना उचित है।” तब उसने उसकी बात मान ली।
यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे; जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूँ।
मेरा भेजनेवाला मेरे साथ है; उसने मुझे अकेला नहीं छोड़ा क्योंकि मैं सर्वदा वही काम करता हूँ जिससे वह प्रसन्न होता है।”
तो क्या हम व्यवस्था को विश्वास के द्वारा व्यर्थ ठहराते हैं? कदापि नहीं! वरन् व्यवस्था को स्थिर करते हैं।
मसीह ने जो हमारे लिये शापित बना, हमें मोल लेकर व्यवस्था के शाप से छुड़ाया, क्योंकि लिखा है, “जो कोई काठ पर लटकाया जाता है वह शापित है।”
तो क्या व्यवस्था परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के विरोध में है? कदापि नहीं! क्योंकि यदि ऐसी व्यवस्था दी जाती जो जीवन दे सकती, तो सचमुच धार्मिकता व्यवस्था से होती।
इसलिये तुम उनको धारण करना और मानना; क्योंकि और देशों के लोगों के सामने तुम्हारी बुद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात् वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे, कि निश्चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है।
फिर कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसके पास ऐसी धर्ममय विधि और नियम हों, जैसी कि यह सारी व्यवस्था जिसे मैं आज तुम्हारे सामने रखता हूँ?
और उसमें पाया जाऊँ; न कि अपनी उस धार्मिकता के साथ, जो व्यवस्था से है, वरन् उस धार्मिकता के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है और परमेश्वर की ओर से विश्वास करने पर मिलती है;
फिर प्रभु कहता है, कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्राएल के घराने के साथ बाँधूँगा, वह यह है कि मैं अपनी व्यवस्था को उनके मनों में डालूँगा, और उसे उनके हृदयों पर लिखूँगा, और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा और वे मेरे लोग ठहरेंगे।