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मरकुस 4:6 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

और जब सूर्य निकला तो जल गया, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गया।

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पवित्र बाइबल

और जब सूरज उगा तो वे झुलस गये और जड़ न पकड़ पाने के कारण मुरझा गये।

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Hindi Holy Bible

और जब सूर्य निकला, तो जल गया, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गया।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

जब सूरज चढ़ने लगा, तो वे झुलस गये और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गये।

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नवीन हिंदी बाइबल

जब सूर्य उदय हुआ तो वे झुलस गए और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गए।

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सरल हिन्दी बाइबल

किंतु जब सूर्योदय हुआ, वे झुलस गए और इसलिये कि उन्होंने जड़ें ही नहीं पकड़ी थी, वे मुरझा गए.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

और जब सूर्य निकला, तो जल गया, और जड़ न पकड़ने के कारण सूख गया।

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मरकुस 4:6
15 क्रॉस रेफरेंस  

मुझे इसलिये न घूर कि मैं साँवली हूँ, क्योंकि मैं धूप से झुलस गई। मेरी माता के पुत्र मुझ से अप्रसन्न थे, उन्होंने मुझ को दाख की बारियों की रखवालिन बनाया; परन्तु मैं ने अपनी निज दाख की बारी की रखवाली नहीं की!


क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका दीवार पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रों के लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ।


जब सूर्य उगा, तब परमेश्‍वर ने पुरवाई बहाकर लू चलाई, और धूप योना के सिर पर ऐसी लगी कि वह मूर्च्छित होने लगा; और उसने यह कहकर मृत्यु माँगी, “मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही अच्छा है।”


पर सूरज निकलने पर वे जल गए, और जड़ न पकड़ने से सूख गए।


कुछ पथरीली भूमि पर गिरा जहाँ उसको बहुत मिट्टी न मिली, और गहरी मिट्टी न मिलने के कारण जल्द उग आया,


कुछ झाड़ियों में गिरा, और झाड़ियों ने बढ़कर उसे दबा दिया, और वह फल न लाया।


और विश्‍वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़कर और नेव डाल कर,


और उसी में जड़ पकड़ते और बढ़ते जाओ; और जैसे तुम सिखाए गए वैसे ही विश्‍वास में दृढ़ होते जाओ, और अधिकाधिक धन्यवाद करते रहो।


और नाश होनेवालों के लिये अधर्म के सब प्रकार के धोखे के साथ होगा; क्योंकि उन्होंने सत्य से प्रेम नहीं किया जिस से उनका उद्धार होता।


क्योंकि सूर्य उदय होते ही कड़ी धूप पड़ती है और घास को सुखा देती है, और उसका फूल झड़ जाता है और उसकी शोभा जाती रहती है। इसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते–चलते धूल में मिल जाएगा।


ये तुम्हारी प्रेम सभाओं में तुम्हारे साथ खाते–पीते, समुद्र में छिपी हुई चट्टान सरीखे हैं, और बेधड़क अपना ही पेट भरनेवाले रखवाले हैं; वे निर्जल बादल हैं, जिन्हें हवा उड़ा ले जाती है; पतझड़ के निष्फल पेड़ हैं, जो दो बार मर चुके हैं, और जड़ से उखड़ गए हैं;


वे फिर भूखे और प्यासे न होंगे; और न उन पर धूप, न कोई तपन पड़ेगी।