क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, “मैं स्त्री–त्याग से घृणा करता हूँ, और उस से भी जो अपने वस्त्र को उपद्रव से ढाँपता है। इसलिये तुम अपनी आत्मा के विषय में चौकस रहो और विश्वासघात मत करो, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।”
मरकुस 10:2 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब फरीसियों ने उसके पास आकर उसकी परीक्षा करने को उससे पूछा, “क्या यह उचित है कि पुरुष अपनी पत्नी को त्यागे?” पवित्र बाइबल फिर कुछ फ़रीसी उसके पास आये और उससे पूछा, “क्या किसी पुरुष के लिये उचित है कि वह अपनी पत्नी को तलाक दे?” उन्होंने उसकी परीक्षा लेने के लिये उससे यह पूछा था। Hindi Holy Bible तब फरीसियों ने उसके पास आकर उस की परीक्षा करने को उस से पूछा, क्या यह उचित है, कि पुरूष अपनी पत्नी को त्यागे? पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) फरीसी सम्प्रदाय के सदस्य येशु के पास आए और उनकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से उन्होंने यह प्रश्न किया, “क्या अपनी पत्नी का परित्याग करना पुरुष के लिए उचित है?” नवीन हिंदी बाइबल तब फरीसियों ने आकर उसे परखने के लिए उससे पूछा कि क्या किसी पति के लिए अपनी पत्नी को तलाक देना उचित है? सरल हिन्दी बाइबल उन्हें परखने के उद्देश्य से कुछ फ़रीसी उनके पास आ गए. उन्होंने मसीह येशु से प्रश्न किया, “क्या पुरुष के लिए पत्नी से तलाक लेना व्यवस्था के अनुसार है?” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब फरीसियों ने उसके पास आकर उसकी परीक्षा करने को उससे पूछा, “क्या यह उचित है, कि पुरुष अपनी पत्नी को त्यागे?” |
क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, “मैं स्त्री–त्याग से घृणा करता हूँ, और उस से भी जो अपने वस्त्र को उपद्रव से ढाँपता है। इसलिये तुम अपनी आत्मा के विषय में चौकस रहो और विश्वासघात मत करो, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है।”
फरीसियों और सदूकियों ने पास आकर उसे परखने के लिये उससे कहा, “हमें स्वर्ग का कोई चिह्न दिखा।”
तब फरीसी उसकी परीक्षा करने के लिए पास आकर कहने लगे, “क्या हर एक कारण से अपनी पत्नी को त्यागना उचित है?”
“हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो।
परन्तु फरीसियों ने कहा, “यह तो दुष्टात्माओं के सरदार की सहायता से दुष्टात्माओं को निकालता है।”
फिर वह वहाँ से उठकर यहूदिया की सीमा में और यरदन के पार आया। भीड़ उसके पास फिर इकट्ठी हो गई, और वह अपनी रीति के अनुसार उन्हें फिर उपदेश देने लगा।
फिर फरीसी आकर उससे वाद–विवाद करने लगे, और उसे जाँचने के लिये उससे कोई स्वर्गीय चिह्न माँगा।
प्रभु ने उससे कहा, “हे फरीसियो, तुम कटोरे और थाली को ऊपर–ऊपर से तो माँजते हो, परन्तु तुम्हारे भीतर अन्धेर और दुष्टता भरी है।
इस पर फरीसी और उनके शास्त्री उस के चेलों से यह कहकर कुड़कुड़ाने लगे, “तुम चुंगी लेनेवालों और पापियों के साथ क्यों खाते–पीते हो?”
शास्त्री और फरीसी उस पर दोष लगाने का अवसर पाने की ताक में थे कि देखें वह सब्त के दिन चंगा करता है कि नहीं।
परन्तु फरीसियों और व्यवस्थापकों ने उससे बपतिस्मा न लेकर परमेश्वर के अभिप्राय को अपने विषय में टाल दिया।
इस पर प्रधान याजकों और फरीसियों ने महासभा बुलाई, और कहा, “हम करते क्या हैं? यह मनुष्य तो बहुत चिह्न दिखाता है।
प्रधान याजकों और फरीसियों ने यह आदेश दे रखा था कि यदि कोई यह जाने कि यीशु कहाँ है तो बताए, ताकि वे उसे पकड़ सकें।
फरीसियों ने लोगों को उसके विषय में ये बातें चुपके चुपके करते सुना; और प्रधान याजकों और फरीसियों ने उसे पकड़ने को सिपाही भेजे।
उन्होंने उसको परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये कोई बात पाएँ। परन्तु यीशु झुककर उँगली से भूमि पर लिखने लगा।
और न हम प्रभु को परखें, जैसा उनमें से कितनों ने किया, और साँपों के द्वारा नष्ट किए गए।