2 फरीसी सम्प्रदाय के सदस्य येशु के पास आए और उनकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से उन्होंने यह प्रश्न किया, “क्या अपनी पत्नी का परित्याग करना पुरुष के लिए उचित है?”
2 फिर कुछ फ़रीसी उसके पास आये और उससे पूछा, “क्या किसी पुरुष के लिये उचित है कि वह अपनी पत्नी को तलाक दे?” उन्होंने उसकी परीक्षा लेने के लिये उससे यह पूछा था।
2 उन्हें परखने के उद्देश्य से कुछ फ़रीसी उनके पास आ गए. उन्होंने मसीह येशु से प्रश्न किया, “क्या पुरुष के लिए पत्नी से तलाक लेना व्यवस्था के अनुसार है?”
इस्राएल का प्रभु परमेश्वर यों कहता है, ‘मैं तलाक से घृणा करता हूँ; मैं उस पति से नफरत करता हूँ जो दूसरी स्त्री को चादर ओढ़ाकर अपनी पत्नी बनाता है और यों अपनी पूर्व-पत्नी पर अत्याचार करता है।’ स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है, ‘अपने प्रति सावधान रहो। अपनी पत्नी के प्रति विश्वासघात मत करो।’
“ढोंगी शास्त्रियो और फरीसियो! धिक्कार है तुम्हें! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग-राज्य का द्वार बन्द कर देते हो; न तो तुम स्वयं प्रवेश करते हो और न प्रवेश करने वालों को प्रवेश करने देते हो।
वहाँ से विदा हो कर येशु यहूदा प्रदेश के सीमा-क्षेत्र और यर्दन नदी के उस पार के प्रदेश में आए। एक विशाल जनसमूह फिर उनके पास एकत्र हो गया और उन्होंने अपनी आदत के अनुसार लोगों को फिर शिक्षा दी।
इस पर फरीसी और उनके ही सम्प्रदाय के शास्त्री भुनभुनाने और येशु के शिष्यों से यह कहने लगे, “तुम लोग चुंगी-अधिकारियों और पापियों के साथ क्यों खाते-पीते हो?”
महापुरोहितों और फरीसियों ने येशु को गिरफ्तार करने के उद्देश्य से यह आदेश दिया था कि यदि किसी व्यक्ति को मालूम हो जाए कि येशु कहाँ हैं, तो वह इसकी सूचना उनको दे।
फरीसियों ने सुना कि जनता में येशु के विषय में इस प्रकार की कानाफूसी हो रही है। अत: महापुरोहितों और फरीसियों ने येशु को गिरफ्तार करने के लिए सिपाहियों को भेजा।