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भजन संहिता 110:4 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

यहोवा ने शपथ खाई और न पछताएगा : “तू मेल्कीसेदेक की रीति पर सर्वदा का याजक है।”

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पवित्र बाइबल

यहोवा ने एक वचन दिया, और यहोवा अपना मन नहीं बदलेगा: “तू नित्य याजक है। किन्तु हारून के परिवार समूह से नहीं। तेरी याजकी भिन्न है। तू मेल्कीसेदेक के समूह की रीति का याजक है।”

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Hindi Holy Bible

यहोवा ने शपथ खाई और न पछताएगा, कि तू मेल्कीसेदेक की रीति पर सर्वदा का याजक है॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

प्रभु ने शपथ खाई है, और वह अपना यह निश्‍चय नहीं बदलेगा: ‘तू मलकीसेदेक के समान सदा के लिए पुरोहित है।’

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नवीन हिंदी बाइबल

यहोवा ने शपथ खाई है और उसे न बदलेगा : “तू मलिकिसिदक की रीति के अनुसार सदा के लिए याजक है।”

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सरल हिन्दी बाइबल

यह याहवेह की शपथ है, जो अपने वक्तव्य से दूर नहीं होते: “तुम मेलखीज़ेदेक की शृंखला में सनातन पुरोहित हो.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

यहोवा ने शपथ खाई और न पछताएगा, “तू मलिकिसिदक की रीति पर सर्वदा का याजक है।” (इब्रा. 7:21, इब्रा. 7:17)

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भजन संहिता 110:4
14 क्रॉस रेफरेंस  

तब शालेम का राजा मलिकिसिदक, जो परमप्रधान ईश्‍वर का याजक था, रोटी और दाखमधु ले आया।


यहोवा ने दाऊद से सच्‍ची शपथ खाई है और वह उससे न मुकरेगा : “मैं तेरी गद्दी पर तेरे एक निज पुत्र को बैठाऊँगा।


वही यहोवा के मन्दिर को बनाएगा और महिमा पाएगा, और अपने सिंहासन पर विराजमान होकर प्रभुता करेगा। उसके सिंहासन के पास एक याजक भी रहेगा, और दोनों के बीच मेल की सम्मति होगी।’


ईश्‍वर मनुष्य नहीं कि झूठ बोले, और न वह आदमी है कि अपनी इच्छा बदले। क्या जो कुछ उसने कहा उसे न करे? क्या वह वचन देकर उसे पूरा न करे?


इसी प्रकार वह दूसरी जगह में भी कहता है, “तू मलिकिसिदक की रीति पर सदा के लिये याजक है।”


जहाँ यीशु ने मलिकिसिदक की रीति पर सदा काल का महायाजक बनकर, हमारे लिये अगुआ के रूप में प्रवेश किया है।


यदि लेवीय याजक पद के द्वारा सिद्धि प्राप्‍त हो सकती (जिसके सहारे लोगों को व्यवस्था मिली थी) तो फिर क्या आवश्यकता थी कि दूसरा याजक मलिकिसिदक की रीति पर खड़ा हो, और हारून की रीति का न कहलाए?


क्योंकि उसके विषय में यह गवाही दी गई है, “तू मलिकिसिदक की रीति पर युगानुयुग याजक है।”


क्योंकि वे तो बिना शपथ याजक ठहराए गए पर यह शपथ के साथ उसकी ओर से नियुक्‍त किया गया जिसने उसके विषय में कहा, “प्रभु ने शपथ खाई, और वह उससे फिर न पछताएगा कि तू युगानुयुग याजक है”।


क्योंकि व्यवस्था तो निर्बल मनुष्यों को महायाजक नियुक्‍त करती है, परन्तु उस शपथ का वचन, जो व्यवस्था के बाद खाई गई, उस पुत्र को नियुक्‍त करता है जो युगानुयुग के लिये सिद्ध किया गया है।


और हमें एक राज्य और अपने पिता परमेश्‍वर के लिये याजक भी बना दिया; उसी की महिमा और पराक्रम युगानुयुग रहे। आमीन।