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अय्यूब 11:12 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

परन्तु मनुष्य छूछा और निर्बुद्धि होता है; क्योंकि मनुष्य जन्म ही से जंगली गदहे के बच्‍चे के समान होता है।

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पवित्र बाइबल

किन्तु कोई मूढ़ जन कभी बुद्धिमान नहीं होगा, जैसे बनैला गधा कभी मनुष्य को जन्म नहीं दे सकता है।

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Hindi Holy Bible

परन्तु मनुष्य छूछा और निर्बुद्धि होता है; क्योंकि मनुष्य जन्म ही से जंगली गदहे के बच्चे के समान होता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

यदि जंगली गदही से मनुष्‍य का बच्‍चा पैदा हो सकता है, तो मूर्ख मनुष्‍य को भी सद्बुद्धि प्राप्‍त हो सकती है!

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सरल हिन्दी बाइबल

जैसे जंगली गधे का बच्चा मनुष्य नहीं बन सकता, वैसे ही किसी मूर्ख को बुद्धिमान नहीं बनाया जा सकता.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

निर्बुद्धि मनुष्य बुद्धिमान हो सकता है; यद्यपि मनुष्य जंगली गदहे के बच्‍चे के समान जन्म ले;

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अय्यूब 11:12
24 क्रॉस रेफरेंस  

मनुष्य है क्या कि वह निष्कलंक हो? या जो स्त्री से उत्पन्न हुआ वह है क्या कि निर्दोष हो सके?


तब उसने मनुष्य से कहा, ‘देख, प्रभु का भय मानना यही बुद्धि है : और बुराई से दूर रहना यही समझ है’।”


वह बुद्धिमानों को उनकी धूर्तता ही में फँसाता है; और कुटिल लोगों की युक्‍ति दूर की जाती है।


जब बनैले गदहे को घास मिलती, तब क्या वह रेंकता है? और बैल चारा पाकर क्या डकारता है?


मनुष्य तो साँस के समान है; उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं।


जब तू मनुष्य को अधर्म के कारण डाँट– डपटकर ताड़ना देता है; तब तू उसकी सुन्दरता को पतंगे के समान नष्‍ट करता है; सचमुच सब मनुष्य वृथाभिमान करते हैं। (सेला)


देख, तू ने मेरी आयु बालिश्त भर की रखी है, और मेरी अवस्था तेरी दृष्‍टि में कुछ है ही नहीं। सचमुच सब मनुष्य कैसे भी स्थिर क्यों न हों तौभी व्यर्थ ठहरे हैं। (सेला)


देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा।


मैं तो पशु सरीखा था, और समझता न था, मैं तेरे संग रहकर भी, पशु बन गया था।


पशु समान मनुष्य इसको नहीं समझता; और मूर्ख इसका विचार नहीं करता :


उपदेशक का यह वचन है, “व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।”


अपने मन से खेद और अपनी देह से दु:ख दूर कर, क्योंकि लड़कपन और जवानी दोनों व्यर्थ हैं।


मैं ने मन में कहा, “यह इसलिये होता है कि परमेश्‍वर मनुष्यों को जाँचे कि वे देख सकें कि वे पशु–समान हैं।”


जंगल में पली हुई जंगली गदही जो कामातुर होकर वायु सूँघती फिरती है तब कौन उसे वश में कर सकता है? जितने उसको ढूँढ़ते हैं वे व्यर्थ परिश्रम न करें; क्योंकि वे उसे उसकी ऋतु में पाएँगे।


वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए,


आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो, परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्‍टि में बुद्धिमान न हो।


इनमें हम भी सब के सब पहले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर और मन की इच्छाएँ पूरी करते थे, और अन्य लोगों के समान स्वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे।


पर हे निकम्मे मनुष्य, क्या तू यह भी नहीं जानता कि कर्म बिना विश्‍वास व्यर्थ है?