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1 इतिहास 24:19 - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

उनकी सेवा के लिये उनका यही नियम ठहराया गया कि वे अपने उस नियम के अनुसार जो इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार उनके मूलपुरुष हारून ने चलाया था, यहोवा के भवन में जाया करें।

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पवित्र बाइबल

यहोवा के मन्दिर में सेवा करने के लिये ये समूह चुने गये थे। वे मन्दिर में सेवा के लिये हारून के नियामों को मानते थे। इस्राएल के यहोवा परमेश्वर ने इन नियमों को हारून को दिया था।

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Hindi Holy Bible

उनकी सेवकाई के लिये उनका यही नियम ठहराया गया कि वे अपने उस नियम के अनुसार जो इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार उनके मूलपुरुष हारून ने चलाया था, यहोवा के भवन में जाया करें।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

पुरोहित के सेवा-कार्यों को सम्‍पन्न करने के लिए उनका दल-विभाजन यही था। वे इसी क्रम में प्रभु के भवन में प्रवेश करते थे। जो प्रथा उनके पूर्वज पुरोहित हारून ने स्‍थापित की थी और जिसको मानने का आदेश इस्राएल के प्रभु परमेश्‍वर ने उसको दिया था, वह यही थी।

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सरल हिन्दी बाइबल

जब ये अपने पूर्वज अहरोन द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार याहवेह के भवन में आए, उन्हें सेवा के लिए ये ही पद सौंपे गए थे-ठीक जैसा आदेश उन्हें याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर ने दिया था.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

उनकी सेवकाई के लिये उनका यही नियम ठहराया गया कि वे अपने उस नियम के अनुसार जो इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार उनके मूलपुरुष हारून ने चलाया था, यहोवा के भवन में जाया करें।

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1 इतिहास 24:19
10 क्रॉस रेफरेंस  

फिर हारून की सन्तान के दल ये थे। हारून के पुत्र नादाब, अबीहू, एलीआज़ार और ईतामार थे।


तेईसवीं दलायाह के, और चौबीसवीं माज्याह के नाम पर निकलीं।


बचे हुए लेवियों में से अम्राम के वंश में से शूबाएल, शूबाएल के वंश में से येहदयाह।


शमूएल एल्काना का, एल्काना यरोहाम का, यरोहाम एलीएल का, एलीएल तोह का,


और उनके भाई जो गाँवों में रहते थे, उनको सात सात दिन के बाद बारी बारी से उनके संग रहने के लिये आना पड़ता था,


तुम एक काम करो : अर्थात् तुम याजकों और लेवियों के एक तिहाई लोग जो विश्रामदिन को आनेवाले हो, वे द्वारपाली करें,


यहोयादा याजक की इन सब आज्ञाओं के अनुसार लेवियों और सब यहूदियों ने किया। उन्होंने विश्रामदिन को आनेवाले और विश्रामदिन को जानेवाले दोनों दलों के, अपने अपने जनों को अपने साथ कर लिया, क्योंकि यहोयादा याजक ने किसी दल के लेवियों को विदा न किया था।


जब वह अपने दल की पारी पर परमेश्‍वर के सामने याजक का काम करता था,


पर सारी बातें शालीनता और व्यवस्थित रूप से की जाएँ।


यदि लेवीय याजक पद के द्वारा सिद्धि प्राप्‍त हो सकती (जिसके सहारे लोगों को व्यवस्था मिली थी) तो फिर क्या आवश्यकता थी कि दूसरा याजक मलिकिसिदक की रीति पर खड़ा हो, और हारून की रीति का न कहलाए?