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सभोपदेशक 8:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

एक बात और : यह भी व्‍यर्थ है, और पृथ्‍वी पर होती है। धार्मिक व्यक्‍तियों को दुर्जन मनुष्‍यों के दुष्‍कर्मों का फल भुगतना पड़ता है, और दुर्जन मनुष्‍य धार्मिक व्यक्‍तियों के सत्‍कर्मों का फल प्राप्‍त करते हैं। अत: मैं कहता हूं, यह भी व्‍यर्थ है।

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पवित्र बाइबल

इस धरती पर एक बात और होती है जो मुझे न्याय संगत नहीं लगती। बुरे लोगों के साथ बुरे बातें घटनी चाहियें और अच्छे लोगों के साथ अच्छी बातें। किन्तु कभी—कभी अच्छे लोगों के साथ बुरी बातें घटती है और बुरे लोगों के साथ अच्छी बातें। यह तो न्याय नहीं है।

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Hindi Holy Bible

एक व्यर्थ बात पृथ्वी पर होती है, अर्थात ऐसे धर्मी हैं जिनकी वह दशा होती है जो दुष्टों की होनी चाहिये, और ऐसे दुष्ट हैं जिनकी वह दशा होती है हो धर्मियों की होनी चाहिये। मैं ने कह कि यह भी व्यर्थ ही है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

एक व्यर्थ बात पृथ्वी पर होती है, अर्थात् ऐसे धर्मी हैं जिनकी वह दशा होती है जो दुष्‍टों की होनी चाहिये, और ऐसे दुष्‍ट हैं जिनकी वह दशा होती है जो धर्मियों की होनी चाहिए। मैं ने कहा कि यह भी व्यर्थ ही है।

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नवीन हिंदी बाइबल

एक और व्यर्थ बात है जो पृथ्वी पर घटती है : ऐसे धर्मी जन हैं जिन्हें दुष्‍टों की करनी का फल भोगना पड़ता है, और ऐसे दुष्‍ट भी हैं जिन्हें धर्मियों के भले कार्यों का फल मिलता है। मैं कहता हूँ कि यह भी व्यर्थ है।

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सरल हिन्दी बाइबल

पृथ्वी पर एक और बात बेकार होती है: धर्मियों के साथ दुष्टों द्वारा किए गए कामों के अनुसार घटता है और दुष्टों के साथ धर्मियों द्वारा किए गए कामों के अनुसार. मैंने कहा कि यह भी बेकार ही है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

एक व्यर्थ बात पृथ्वी पर होती है, अर्थात् ऐसे धर्मी हैं जिनकी वह दशा होती है जो दुष्टों की होनी चाहिये, और ऐसे दुष्ट हैं जिनकी वह दशा होती है जो धर्मियों की होनी चाहिये। मैंने कहा कि यह भी व्यर्थ ही है।

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सभोपदेशक 8:14
16 क्रॉस रेफरेंस  

अय्‍यूब पर ये चारों विपत्तियाँ आई, पर उसने पाप नहीं किया, और न परमेश्‍वर पर मूर्खतापूर्ण आरोप लगाया।


‘दुर्जन क्‍यों जीवित रहते हैं? उन्‍हें लम्‍बी उम्र क्‍यों मिलती है? क्‍यों वे दिन-प्रतिदिन शक्‍ति-सम्‍पन्न होते जाते हैं?


सच पूछो तो तुम सब यह भेद स्‍वयं अनुभव कर चुके हो! फिर तुम ये बातें क्‍यों कर रहे हो?’


जब मैं ने दुर्जनों का फलना-फूलना देखा, तब मैं घमण्‍डी लोगों के प्रति ईष्‍र्यालु हो गया।


मैंने सूर्य के नीचे धरती पर एक बुराई देखी। इस बुराई का जिम्‍मेदार शासक है।


बुद्धिमान व्यक्‍ति के सिर में उसकी आंखें होती हैं, और वह देखकर चलता है, किन्‍तु मूर्ख मनुष्‍य अन्‍धकार में टटोलता है। तो भी मुझे यह अनुभव हुआ कि मूर्ख और बुद्धिमान दोनों एक ही गति को प्राप्‍त होते हैं।


फिर मैंने देखा कि सब परिश्रम और सारा कार्यकौशल अपने पड़ोसी के प्रति शत्रु-भावना से किया जाता है। अत: यह भी व्‍यर्थ है, यह मानो हवा को पकड़ना है।


यद्यपि मनुष्‍य अकेला है, उसका पुत्र नहीं, भाई नहीं, तथापि वह निरन्‍तर कमाता ही जाता है, उसके परिश्रम का कोई अन्‍त नहीं। उसकी आंखें धन-सम्‍पत्ति से तृप्‍त नहीं होतीं। वह अपने आपसे कभी पूछता नहीं, “मैं यह सब परिश्रम किसके लिए कर रहा हूं, और क्‍यों स्‍वयं को सुख-चैन से वंचित कर रहा हूं?” यह भी व्‍यर्थ है, और एक दु:खद कार्य-व्‍यापार है।


मैंने अपने निस्‍सार जीवन में यह देखा है: धार्मिक मनुष्‍य अपनी धार्मिकता में मरता है, किन्‍तु दुर्जन व्यक्‍ति दुष्‍कर्म करते हुए दीर्घायु प्राप्‍त करता है।


मैं तुझसे क्‍यों वाद-विवाद करूं? क्‍योंकि तू धार्मिक है, और तेरा न्‍याय सच्‍चा है। फिर भी, हे प्रभु, मैं तेरे सम्‍मुख अपनी शिकायत पेश करूंगा; दुर्जन अपने काम में सफल क्‍यों होते हैं? विश्‍वासघाती सुख-चैन से क्‍यों रहते हैं?


अब हम अभिमानी लोगों को धन्‍य कहेंगे। दुष्‍कर्मी न केवल जीवन में सफल होते हैं, वरन् जब वे परमेश्‍वर को परखते हैं तब भी वे बच जाते हैं।” ?’