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व्यवस्थाविवरण 29:4 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

परन्‍तु आज तक प्रभु ने तुम्‍हें समझने के लिए हृदय, देखने के लिए आंखें और सुनने के लिए कान नहीं दिए हैं।

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पवित्र बाइबल

किन्तु आज भी तुम नहीं समझते कि क्या हुआ। यहोवा ने सचमुच तुमको नहीं समझाया जो तुमने देखा और सुना।

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Hindi Holy Bible

परन्तु यहोवा ने आज तक तुम को न तो समझने की बुद्धि, और न देखने की आंखें, और न सुनने के कान दिए हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

परन्तु यहोवा ने आज तक तुम को न तो समझने की बुद्धि, और न देखने की आँखें, और न सुनने के कान दिए हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

फिर भी आज तक याहवेह ने तुम्हें न तो समझने का मन, न देखने वाली आंखें और न सुनने के कान प्रदान किए हैं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

परन्तु यहोवा ने आज तक तुम को न तो समझने की बुद्धि, और न देखने की आँखें, और न सुनने के कान दिए हैं। (रोम. 11:8)

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व्यवस्थाविवरण 29:4
18 क्रॉस रेफरेंस  

जब तक इस्राएली आबाद देश में नहीं पहुँच गए, वे चालीस वर्ष ‘मन्ना’ ही खाते रहे। कनान देश की सीमा पहुँचने तक इस्राएलियों ने ‘मन्ना’ ही खाया।


कान जो सुनते हैं, आंखें जो देखती हैं, दोनों को प्रभु ने बनाया है।


हे प्रभु, क्‍यों तू हमें अपने मार्ग से भटकाता है, क्‍यों तू हमारा हृदय कठोर करता है कि हम तुझसे न डरें? अपनी मीरास के कुलों के लिए, अपने सेवकों के हित में लौट आ।


‘ओ मानव, तू विद्रोही कौम, इस्राएली कुल के मध्‍य रहता है। उनके पास आंखें तो हैं, पर उन्‍हें दिखाई नहीं देता। उनके पास कान हैं, पर वे सुनते नहीं। इस्राएली कुल विद्रोही है।


मैं तुम्‍हें एक नया हृदय दूंगा, और तुम्‍हारे भीतर एक नई आत्‍मा उत्‍पन्न करूंगा। मैं तुम्‍हारी देह से तुम्‍हारा पाषाण हृदय निकाल कर तुम्‍हें संवेदनशीलहृदय दूंगा


तुम मेरी बातें क्‍यों नहीं समझते? कारण यह है कि तुम वचन सहन नहीं कर सकते।


जब मूसा का ग्रन्‍थ पढ़ कर सुनाया जाता है, तो उनके मन पर आज भी वह परदा पड़ा रहता है।


उनकी बुद्धि पर अन्‍धकार छाया हुआ है। वे अपने अज्ञान और हृदय की कठोरता के कारण ईश्‍वरीय जीवन से विमुख हो गये हैं।


किन्‍तु हेश्‍बोन के राजा सीहोन ने हमें अपने पास से होकर नहीं जाने दिया; क्‍योंकि तुम्‍हारे प्रभु परमेश्‍वर ने उसकी आत्‍मा को कठोर, और हृदय को हठीला बना दिया था, जिससे वह उसे तुम्‍हारे हाथ में सौंप दे, जैसे वह आज भी है।


मैंने, तुम्‍हारे प्रभु परमेश्‍वर ने तुम्‍हारे हाथों से किए गए सब कार्यों पर आशिष दी है। मैं इस विशाल निर्जन प्रदेश में यात्रा के समय तुम्‍हारी देख-भाल करता आया हूं। मैं तुम्‍हारा प्रभु-परमेश्‍वर, इन चालीस वर्षों की अवधि में तुम्‍हारे साथ रहा हूं, और तुम्‍हें किसी वस्‍तु का अभाव नहीं हुआ।”


और इस आशा से विरोधियों को नम्रता से समझाये कि वे परमेश्‍वर की दया से पश्‍चात्ताप करें और सच्‍चाई पहचानें।