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इफिसियों 4:18 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 उनकी बुद्धि पर अन्‍धकार छाया हुआ है। वे अपने अज्ञान और हृदय की कठोरता के कारण ईश्‍वरीय जीवन से विमुख हो गये हैं।

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पवित्र बाइबल

18 उनकी बुद्धि अंधकार से भरी है। वे परमेश्वर से मिलने वाले जीवन से दूर हैं। क्योंकि वे अबोध हैं और उनके मन जड़ हो गये हैं।

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Hindi Holy Bible

18 क्योंकि उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उन में है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग किए हुए हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 क्योंकि उनकी बुद्धि अन्धेरी हो गई है, और उस अज्ञानता के कारण जो उनमें है और उनके मन की कठोरता के कारण वे परमेश्‍वर के जीवन से अलग किए हुए हैं;

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नवीन हिंदी बाइबल

18 उनकी समझ अंधकारमय हो गई है और उस अज्ञानता के कारण जो उनमें है और अपने मन की कठोरता के कारण वे परमेश्‍वर के जीवन से दूर हो गए हैं।

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सरल हिन्दी बाइबल

18 उनके मन की कठोरता से उत्पन्‍न अज्ञानता के कारण वे परमेश्वर के जीवन से अलग हैं और उनकी बुद्धि अंधेरी हो गई है.

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इफिसियों 4:18
34 क्रॉस रेफरेंस  

अपने विधान की सुधि ले; क्‍योंकि देश के अन्‍धेरे स्‍थान अत्‍याचार के घर बन गए हैं।


प्रभु इसी पर्वत पर उस आवरण को नष्‍ट कर देगा, जो समस्‍त जातियों पर छाया हुआ है; वह उस परदे को हटा देगा, जो सब राष्‍ट्रों पर पड़ा हुआ है।


ओ मानव, इस इस्राएली कुल ने अपनी मूर्तियों के कारण मुझे त्‍याग दिया है, और यह मुझ से दूर हो गया है। जिस हृदय में इस्राएली कुल ने अपने देवताओं की मूर्तियां प्रतिष्‍ठित की हैं, उस हृदय को मैं अपने दण्‍ड से आतंकित करूंगा।


पर जब आपके पिता का हृदय अहंकार से भर गया, जब आपके पिता की आत्‍मा कठोर बन गई और वह घमण्‍ड में आकर अनुचित कार्य करने लगे, तब परमेश्‍वर ने उनको उनके राजसिंहासन से उतार दिया और उनसे उनका ऐश्‍वर्य छीन लिया।


शुतुरमुर्ग, रात-शिकरा, जल-कुक्‍कुट, सब प्रकार के शिकरे,


क्‍योंकि इन लोगों की बुद्धि मारी गयी है। ये कानों से ऊंचा सुनने लगे हैं; इन्‍होंने अपनी आँखें बन्‍द कर ली हैं; जिससे कहीं ऐसा न हो कि ये आँखों से देखें, कानों से सुनें, बुद्धि से समझें और मेरी ओर लौट आएँ और मैं इन्‍हें स्‍वस्‍थ कर दूँ। ’


उनके हृदय की कठोरता देख कर येशु को दु:ख हुआ और वह उन पर क्रोध भरी दृष्‍टि दौड़ा कर उस मनुष्‍य से बोले, “अपना हाथ बढ़ाओ।” उसने अपना हाथ बढ़ाया और उसका हाथ अच्‍छा हो गया।


“परमेश्‍वर ने उनकी आँखों को अन्‍धा कर दिया और उनकी बुद्धि कुण्‍ठित कर दी है। परमेश्‍वर ने कहा : कहीं ऐसा न हो कि वे आँखों से देखें, बुद्धि से समझें और मेरी ओर लौट आएँ और मैं उन्‍हें स्‍वस्‍थ कर दूँ।”


“परमेश्‍वर ने अज्ञानता के युगों को अनदेखा कर दिया; परन्‍तु अब उसकी आज्ञा यह है कि सर्वत्र सभी मनुष्‍य पश्‍चात्ताप करें,


“भाइयो! मैं जानता हूँ कि आप लोग, और आपके शासक भी, यह नहीं जानते थे कि वे क्‍या कर रहे हैं।


उन्‍होंने परमेश्‍वर का सच्‍चा ज्ञान प्राप्‍त करना उचित नहीं समझा, इसलिए परमेश्‍वर ने उन्‍हें उनकी भ्रष्‍ट बुद्धि पर छोड़ दिया, जिससे वे अनुचित आचरण करने लगे।


भाइयो और बहिनो! कहीं ऐसा न हो कि आप अपने को बहुत बुद्धिमान समझ बैठें। इसलिए मैं आप लोगों पर यह रहस्‍य प्रकट करना चाहता हूँ—इस्राएल का एक भाग तब तक अन्‍धा बना रहेगा, जब तक गैर-यहूदियों की पूरी जनसंख्‍या का प्रवेश न हो जाये।


तो इसका निष्‍कर्ष क्‍या है? इस्राएल जिस बात की खोज में था, उसे नहीं पा सका, किन्‍तु चुने हुए लोगों ने उसे पा लिया और शेष लोगों का हृदय कठोर बन गया।


तुम्‍हें व्‍यवस्‍था द्वारा ज्ञान और सत्‍य का आदर्श स्‍वरूप प्राप्‍त हो गया है, इसलिए तुम अपने को अन्‍धों का पथप्रदर्शक, अन्‍धकार में रहने वालों का प्रकाश, अज्ञानियों का शिक्षक और भोले-भाले लोगों का गुरु समझते हो।


परमेश्‍वर की प्रज्ञ का विधान ऐसा था कि संसार अपने ज्ञान द्वारा परमेश्‍वर को नहीं पहचान सका। इसलिए परमेश्‍वर ने शुभ समाचार के प्रचार की ‘मूर्खता’ द्वारा विश्‍वासियों को बचाना चाहा।


और जिन को इस युग-संसार के अधिपतियों में से किसी ने नहीं जाना। यदि वे लोग उन्‍हें जानते, तो महिमामय प्रभु को क्रूस पर नहीं चढ़ाते।


इस्राएलियों की बुद्धि कुण्‍ठित हो गयी थी और आज भी, जब प्राचीन विधान पढ़ कर सुनाया जाता है, तो वही परदा पड़ा रहता है। वह पड़ा रहता है, क्‍योंकि मसीह ही उसे हटा सकते हैं।


इस युग-संसार के देवता ने अविश्‍वासियों का मन इतना अन्‍धा कर दिया है कि वे परमेश्‍वर के प्रतिरूप, अर्थात् मसीह के तेजोमय शुभ समाचार की ज्‍योति को देखने में असमर्थ हैं।


आप लोग पहले, जब आप को परमेश्‍वर का ज्ञान प्राप्‍त नहीं हुआ था, ऐसे देवताओं की दासता स्‍वीकार करते थे, जिनका वस्‍तुत: अस्‍तित्‍व नहीं है।


आप लोग अपने अपराधों और पापों के कारण मर गये थे;


आप स्‍मरण रखें कि पहले आप मसीह से अलग थे, इस्राएल के समुदाय के बाहर थे। आप परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा के अनुसार ठहराए गए विधानों से अपरिचित थे, इस संसार में आशा से वंचित और परमेश्‍वर से रहित थे।


आप लोग भी अपने कुकर्मों के कारण परमेश्‍वर से दूर हो गये थे और आपके मन में शत्रुता भर गयी थी।


उन विधर्मियों की तरह जो कि परमेश्‍वर को नहीं जानते, कोई भी वासना के वशीभूत न हो।


वह अज्ञानियों और भूले-भटके लोगों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्‍यवहार कर सकता है, क्‍योंकि वह स्‍वयं दुर्बलताओं से घिरा हुआ है।


किन्‍तु केवल महापुरोहित, वर्ष में एक ही बार, पिछले कक्ष में वह रक्‍त लिये प्रवेश करता था, जिसे वह अपने और प्रजा के दोषों के लिए प्रायश्‍चित के रूप में चढ़ाता था।


व्‍यभिचारियों के सदृश आचरण करने वाले अनिष्‍ठावान लोगो! क्‍या तुम यह नहीं जानते कि संसार से मित्रता रखने का अर्थ है परमेश्‍वर से बैर करना? जो संसार का मित्र होना चाहता है, वह परमेश्‍वर का शत्रु बन जाता है।


आप आज्ञाकारी सन्‍तान बन कर अपनी वासनाओं के अनुसार आचरण नहीं करें, जैसा कि पहले किया करते थे जब आप लोगों को ज्ञान नहीं मिला था।


परन्‍तु जो अपने भाई अथवा बहिन से बैर करता है, वह अन्‍धकार में है और अन्‍धकार में चलता है। वह यह नहीं जानता कि वह कहाँ जा रहा है; क्‍योंकि अन्‍धकार ने उसे अन्‍धा बना दिया है।


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