व्यवस्थाविवरण 21:16 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तो जिस दिन वह अपनी सम्पत्ति पैतृक अधिकार के लिए अपने पुत्रों में वितरित करेगा, तब वह अपनी अप्रिय स्त्री के ज्येष्ठ पुत्र की अपेक्षा अपनी प्रिय स्त्री के पुत्र को ज्येष्ठ नहीं मान सकेगा; पवित्र बाइबल जब वह अपनी सम्पत्ति अपने बच्चों में बाँटेगा तो अधिक प्रिय पत्नी के बच्चे को वह विशेष वस्तु नहीं दे सकता जो पहलौठे बच्चे की होती है। Hindi Holy Bible तो जब वह अपने पुत्रों को सम्पत्ति का बटवारा करे, तब यदि अप्रिया का बेटा जो सचमुच जेठा है यदि जीवित हो, तो वह प्रिया के बेटे को जेठांस न दे सकेगा; पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तो जब वह अपने पुत्रों में अपनी सम्पत्ति का बँटवारा करे, तब यदि अप्रिया का बेटा जो सचमुच जेठा है यदि जीवित हो, तो वह प्रिया के बेटे को जेठांस न दे सकेगा; सरल हिन्दी बाइबल तब, जिस अवसर पर वह अपना इच्छा पत्र तैयार करता है, वह उस संतान को, जो उसकी प्रिय पत्नी से पैदा हुआ है, अप्रिय पत्नी की संतान को छोड़ उस संतान को पहिलौठे का स्थान नहीं दे सकता. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तो जब वह अपने पुत्रों को अपनी सम्पत्ति का बँटवारा करे, तब यदि अप्रिय का बेटा जो सचमुच जेठा है यदि जीवित हो, तो वह प्रिया के बेटे को जेठांस न दे सकेगा; |
मरारी के वंशज होसाह के भी पुत्र थे: शिमरी, जो अगुआ था। (यद्यपि वह ज्येष्ठ पुत्र नहीं था, तो भी उसके पिता ने उसको अगुआ बना दिया था।)
यह भी सच है कि यहूदा अपने भाइयों में शक्तिशाली हो गया था और उसके ही वंश से अगुवा हुआ था, तो भी ज्येष्ठ पुत्र के जन्म-सिद्ध अधिकार पर यूसुफ का ही अधिकार था।)
उसने अपने इन पुत्रों को अपार धन-सम्पत्ति, सोना-चांदी तथा बहुमूल्य वस्तुएं दी थीं। उसने उन्हें यहूदा प्रदेश के किलाबन्द नगर भी दिये थे। किन्तु उसने योराम को अपना राज्य दिया था; क्योंकि वह उसका ज्येष्ठ पुत्र था।
क्योंकि परमेश्वर ने निश्चित किया कि जिन्हें उसने पहले से अपना समझा, वे उसके पुत्र के प्रतिरूप बनाये जायेंगे, जिससे उसका पुत्र इस प्रकार बहुत-से भाई-बहिनों में पहिलौठा हो।
‘यदि किसी पुरुष की दो स्त्रियां हों, एक उसको प्रिय हो, पर दूसरी अप्रिय और दोनों स्त्रियों से उसके पुत्र उत्पन्न हों, परन्तु यदि ज्येष्ठ पुत्र अप्रिय स्त्री से उत्पन्न हो,
वरन् वह अपनी अप्रिय स्त्री के पुत्र को कुल सम्पत्ति में से दुगुना भाग देकर उसके ज्येष्ठ पुत्र होने के विशिष्ट अधिकार को स्वीकार करेगा, क्योंकि वह ही उसके पौरुष का प्रथम फल है। उसको ही ज्येष्ठ पुत्र होने का विशिष्ट अधिकार प्राप्त है।
भाइयो और बहिनो! अन्त में यह : जो कुछ सच है, आदरणीय है; जो कुछ न्यायसंगत है, निर्दोष है; जो कुछ प्रीतिकर है, मनोहर है, जो कुछ भी उत्तम है, प्रशंसनीय है : ऐसी बातों का मनन किया करें।