उसने कहा, ‘ओ यहूदा प्रदेश के निवासियो तथा यरूशलेम के रहने वालो, और महाराज यहोशाफट, आप-सब प्रभु का सन्देश सुनिए : प्रभु आप से यों कहता है, “इस विशाल सेना से मत डरो, और न ही तुम्हारा हृदय कांपे; क्योंकि यह युद्ध तुम्हारे और उनके बीच में नहीं बल्कि उनके और मुझ-परमेश्वर के बीच है।
तब मैं उनको भयभीत देखकर उठा, और प्रतिष्ठित नागरिकों, अधिकारियों और अन्य लोगों से कहा, ‘अपने शत्रुओं से मत डरो। प्रभु को स्मरण रखो, वह महान और आतंकमय है, और तब अपने भाई-बन्धुओं, पुत्र-पुत्रियों, पत्नियों और घरों की रक्षा के लिए युद्ध करो।’
किन्तु शर्त यह है कि तुम, प्रभु के विरुद्ध विद्रोह मत करो। तुम उस देश के लोगों से मत डरो; क्योंकि वे तो हमारे लिए मात्र रोटी सदृश हैं और हम उनको आसानी से निगल सकते हैं। उन पर से संरक्षण की छाया हट चुकी है और प्रभु हमारे साथ है। उन लोगों से मत डरो।’
हम कहां जा रहे हैं? स्वयं हमारे भाइयों ने हमारा हृदय निरुत्साह कर दिया है। वे कहते हैं, ‘वहां के लोग हमसे अधिक ऊंचे और अधिक बलवान हैं। उनके नगर विशाल हैं, जिनके गगन-चुम्बी परकोटे हैं। इसके अतिरिक्त हमने वहां दानव के वंशजों को भी देखा है।” ”
‘जब तू अपने शत्रुओं से युद्ध करने को जाएगा और घोड़े, रथ तथा अपनी सेना से बड़ी शत्रु-सेना देखेगा, तब तू उनसे मत डरना; क्योंकि मिस्र देश से तुझे निकालने वाला तेरा प्रभु परमेश्वर तेरे साथ है।
साहसी और शक्तिशाली बनो! मत डरो! उनसे आतंकित मत हो! क्योंकि तुम्हारे साथ-साथ चलनेवाला तुम्हारा प्रभु परमेश्वर है। वह तुम्हें निस्सहाय नहीं छोड़ेगा। वह तुम्हें त्याग नहीं देगा।’