उनके जालों से कपड़ा नहीं बनेगा; जो वे बुनते हैं, उनसे मनुष्य अपने शरीर को ढक नहीं सकता। उनके काम केवल दुष्कर्म हैं, उनके हाथों से सिर्फ हिंसा के काम होते हैं।
लैव्यव्यवस्था 13:47 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जब कुष्ठ-रोग जैसे दाग वस्त्र में हों, चाहे वह ऊनी या सूती हो; पवित्र बाइबल “कुछ वस्त्रों पर फफूँदी लग सकती है। वस्त्र सन का या ऊनी हो सकता है। वस्त्र बुना हुआ या कढ़ा हुआ हो सकता है। फफूँदी किसी चमड़े या चमड़े से बनी किसी चीज पर हो सकती है। Hindi Holy Bible फिर जिस वस्त्र में कोढ़ की व्याधि हो, चाहे वह वस्त्र ऊन का हो चाहे सनी का, पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) “फिर जिस वस्त्र में कोढ़ की व्याधि हो, चाहे वह वस्त्र ऊन का हो चाहे सनी का, नवीन हिंदी बाइबल “यदि किसी वस्त्र में फफूंदी लगी हो—फिर चाहे वह वस्त्र ऊन का हो या मलमल का— सरल हिन्दी बाइबल “यदि किसी वस्त्र में कोढ़ की फफूंदी पाई जाती है, चाहे वह वस्त्र ऊनी हो अथवा मलमल का, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 “फिर जिस वस्त्र में कोढ़ की व्याधि हो, चाहे वह वस्त्र ऊन का हो चाहे सनी का, |
उनके जालों से कपड़ा नहीं बनेगा; जो वे बुनते हैं, उनसे मनुष्य अपने शरीर को ढक नहीं सकता। उनके काम केवल दुष्कर्म हैं, उनके हाथों से सिर्फ हिंसा के काम होते हैं।
हम-सब अशुद्ध व्यक्ति के समान हो गए हैं, हमारे सब धर्म-कर्म गन्दे वस्त्र हो गए हैं। हम-सब पत्ते के सदृश मुरझा जाते हैं। हमारे दुष्कर्म हवा की तरह हमें उड़ा ले जाते हैं।
तूने अपनी साड़ियां लीं, और उनसे रंग-बिरंगे, व्यभिचार के पूजास्थल बनाए। तू वहां व्यभिचार-कर्म करती थी। तूने वहां ऐसे कुकर्म किए, जो न कभी किसी ने किए थे, और न कभी कोई करेगा।
जितने दिन तक उसमें रोग रहेगा, वह व्यक्ति अशुद्ध माना जाएगा। वह अशुद्ध है। वह पड़ाव के बाहर, अकेला निवास करेगा।
वह दाग-वाले वस्त्र को, चाहे वह ऊनी अथवा सूती हो, चाहे उसके ताना-बाना में दाग हो, अथवा चमड़े की कोई वस्तु में हो, इन सब को जला देगा, क्योंकि यह गलित कुष्ठ-रोग जैसा दाग है; प्रत्येक वस्तु आग में जलाई जाएगी।
ऊनी, या सूती वस्त्र में, या ताना-बाना में, या चमड़े की किसी भी वस्तु में कुष्ठ-रोग जैसे दाग होने पर उसको शुद्ध या अशुद्ध घोषित करने की यही व्यवस्था है।
रात प्राय: बीत चुकी है, दिन निकलने को है; इसलिए हम, अन्धकार के कर्मों को त्याग कर, ज्योति के शस्त्र धारण कर लें।
तो आप लोगों को अपना पहला आचरण और पुराना स्वभाव त्याग देना चाहिए, क्योंकि वह बहकाने वाली दुर्वासनाओं के कारण बिगड़ता जा रहा है।
कुछ लोगों को आग में से निकाल कर उनकी रक्षा करें। किंतु कुछ लोगों पर दया करते समय आप सतर्क रहें और विषय-वासना से दूषित उनके वस्त्र से भी घृणा करें।