मूर्ख का बलि चढ़ाना भी प्रभु पसन्द नहीं करता। किन्तु निष्कपट मनुष्य की प्रार्थना से वह हर्षित होता है।
लैव्यव्यवस्था 11:34 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) उसके समस्त खाद्य पदार्थ, जिनमें जल प्रयुक्त किया जाता है, अशुद्ध हो जाएँगे। ये सब पेय पदार्थ, जो ऐसे पात्र में पीए जाते हैं, अशुद्ध हो जाएँगे। पवित्र बाइबल यदि अशुद्ध मिट्टी के कटोरे का पानी किसी भोजन पर पड़े तो भोजन अशुद्ध हो जाएगा। अपवित्र कटोरे में कोई भी दाखमधु अशुद्ध हो जाएगी। Hindi Holy Bible उस में जो खाने के योग्य भोजन हो, जिस में पानी का छुआव हों वह सब अशुद्ध ठहरे; फिर यदि ऐसे पात्र में पीने के लिये कुछ हो तो वह भी अशुद्ध ठहरे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) उसमें जो खाने के योग्य भोजन हो, जिसमें पानी का छुआव हो वह सब अशुद्ध ठहरे; फिर यदि ऐसे पात्र में पीने के लिये कुछ हो तो वह भी अशुद्ध ठहरे। नवीन हिंदी बाइबल और किसी खाने योग्य वस्तु पर यदि वह पानी पड़ जाए तो वह वस्तु अशुद्ध ठहरे; फिर यदि ऐसे पात्र में पीने के लिए कुछ हो तो वह भी अशुद्ध ठहरे। सरल हिन्दी बाइबल यदि इस पात्र का जल किसी भी खाने की वस्तु पर गिर जाए, तो वह खाना अशुद्ध माना जाएगा, और इसी प्रकार यदि यह जल किसी पीने के पदार्थ पर गिर जाए, तो वह पीने का पदार्थ अशुद्ध माना जाएगा. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 उसमें जो खाने के योग्य भोजन हो, जिसमें पानी का छुआव हो वह सब अशुद्ध ठहरे; फिर यदि ऐसे पात्र में पीने के लिये कुछ हो तो वह भी अशुद्ध ठहरे। |
मूर्ख का बलि चढ़ाना भी प्रभु पसन्द नहीं करता। किन्तु निष्कपट मनुष्य की प्रार्थना से वह हर्षित होता है।
दुर्जनों के द्वारा चढ़ाई गई बलि प्रभु की दृष्टि में घृणित वस्तु है; तब बुरे उद्देश्य से चढ़ाई गई बलि कितनी घृणित होगी।
जो धनवान अपना धन ब्याज और मुनाफाखोरी से बढ़ाता है, उसे अपना धन उस मनुष्य के लिए छोड़ना पड़ता है जो गरीबों पर दया करता है।
मिट्टी के जिस पात्र में इन जन्तुओं में से किसी की लोथ गिर पड़ी है, उसके भीतर की वस्तु अशुद्ध हो जाएगी। तुम उस पात्र को तोड़ देना।
यदि किसी वस्तु पर इनकी लोथ का कुछ भी भाग गिर पड़े तो वह अशुद्ध हो जाएगी; चाहे वह तन्दूर हो तथा चूल्हा हो, उसे तोड़ा जाएगा। वे अशुद्ध हैं, और तुम्हारे लिए भी अशुद्ध होंगे।
जो शुद्ध हैं, उनके लिए सब कुछ शुद्ध है। किन्तु जो दूषित और अविश्वासी हैं, उनके लिए कुछ भी शुद्ध नहीं हैं, क्योंकि उनका मन और अन्त:करण, दोनों दूषित हैं।